कर्मों का खेल है सारा लौटकर आयेगा | Buddhists story on karma
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कर्मों का खेल है सारा लौटकर आयेगा | Buddhists story on karma |
दोस्तों जीवन में धोखा खाना भी बहुत जरूरी है क्योंकि चलना मां-बाप सीखा देते हैं लेकिन संभलना खुद ही सीखना पड़ता है जिंदगी बहुत छोटी है इसलिए किसी इंसान का पीछा करने से कई गुना बेहतर है अपने सपनों को पूरा करना जिंदगी हंसते रहो इसलिए नहीं कि आपके पास हंसने का कारण है इसलिए क्योंकि दुनिया को रति भर फर्क नहीं पड़ता आपके आंसुओं से चील की ऊंची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन में नहीं आती मगर इंसान की ऊंची उड़ान देखकर इंसान खुद बहुत जल्दी डिप्रेशन में आ जाते हैं अक्सर हम जीवन में सोचते हैं कि हमने जीवन में ऐसा कोई पाप नहीं किया फिर भी हमारे जीवन में इतना कष्ट क्यों आया यह कष्ट और कहीं से नहीं बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण उनके पाप कर्मों से आया होता है जो बुराई करते ही हमारे पास आ जाता है बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक गरीब पंडित अपनी पत्नी के साथ रहता था|
एक दिन की बात है पंडित कुछ काम के लिए शहर गया था तो वह अब अपने गांव जा रहा था तब उसने देखा कि रास्ते में एक चिड़िया एक रोटी को पकड़कर एक खेत में खाने की तैयारी कर रही थी तभी पंडित ने चिड़िया की चोंट से वह रोटी छीन ली मुह का आहार छिन जाने पर चिड़िया ने निराश होकर आकाश की तरफ देखते हुए कहा दूसरे को दुख देना अच्छी बात नहीं है उस दिन चिड़िया बहुत निराश हो गई बाद में चिड़िया जब रोटी के बारे में सोचती तो पंडित को श्राप देते हुए कहती है जिस तरह तुमने मुझे निराश किया तुम भी उसी तरह एक दिन निराश होगा रोटी के बारे में सोचते सोचते चिड़िया ने कुछ दिनों तक कुछ नहीं खाया और भूख के वह मर गई जबकि पंडित वह रोटी को अपने घर ले गया और खुशी के साथ रोटी को खा लिया कुछ दिनों के बाद पंडित के घर एक पुत्र का जन्म हुआ लड़का देखने में इतना सुंदर था कि जो भी उसे देखता अपने हाथ में उठा लेता था मां-बाप उसे देखकर भूख प्यास भूल जाते धीरे-धीरे लड़का बड़ा हो गया रूप गुण से भरपूर लड़के को देखकर मां-बाप की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था |
लड़का इतना प्यारा था कि मां-बाप उसके बिना एक पल भी नहीं रह पाते थे लड़का जब युवक बन गया तभी विधाता की विडंबना के चलते निष्ठुर काल ने पंडित और उसकी पत्नी की खुशी छीन ली जिस दिन लड़का मृत्यु को प्राप्त हुआ उसके बाद मां-बाप के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे दोनों ने खाना पना छोड़ दिया और दिन रात दोनों छाती पीटते हुए कहते पत्थर दिल यम ने हमें जीते जी जला दिया अगर सुबह शाम उसे खूंटा जाए तो उसे कैसा लगेगा यह कहकर पंडित रोज चिड़क हुए कहने लगा कि यम का कलेजा कूट रहा है |
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पंडित को इस तरह रोते देख एक दिन यम ने पंडित के सपने में कहा तुम जो सिर पटकर रो रहे हो बेटे के लिए रो रहे हो उस बेटे को देख पाओगे तो तुम्हें मेरी बात माननी होगी कल तुम भीतर से दरवाजा बंद करके अपने पूजा घर में सोना और दो दिन तक किसी को भी वहां जाकर तुम्हें जगाने देना नहीं है अगले दिन ब्राह्मण ने सपने के बारे में विस्तार से अपनी पत्नी को बताया और यम के कहे अनुसार पूजा घर के पास जाकर सो गया जब पंडित को गहरी नींद आई तब एक यमदूत वहां आया और पंडित का शरीर वहीं छोड़कर उसकी आत्मा को अपने साथ यमपुरी लेकर चला गया यमपुरी में पंडित ने ना जाने कितने सारे नजारे देखे कहीं पापी को यमदूत कूटकूट कर दर्द दे रहे थे |
तो कहीं भयंक पापी को उन्हें घसीट कर नरक कुंड में डाल रहे थे झुंड बनाकर यमदूत घूम रहे थे शोर मचा रहे थे इस तरह जगह-जगह अजीब अजीब मंजर देखकर पंडित के होशो उड़ गए और डर के मारे वह कांपने लगा यमदूत उसे यमराज के पास लेकर आया डर के मारे थर थर कांप रहे पंडित को देखकर यमराज ने उससे कहा पुजारी डरो मत तुम्हें यहां कुछ नहीं होगा जरा तुम उन नौजवानों की तरफ देखो क्या उनमें से कोई तुम्हारा बेटा भी है पंडित ने उन नौजवानों तरफ देखा तो अपने बेटे को मौजूद पाया बेटे को देखकर पंडित ने खुश होकर या से कहा जी महाराज वह मेरा बेटा है पंडित का जवाब सुनकर यमराज ने कहा उसे यहां बुलाओ अगर ना आए |
तो वहां जाकर बुला लाओ पंडित ने अपने बेटे को पुकारा मगर वह नहीं आया तब उसके पास जाकर बोला मेरे बच्चे मैं आया हूं तुम मेरे साथ चलो पंडित ने दो-तीन बार इस तरह कहा मगर बेटे ने उसकी तरफ देखा ही नहीं तब उसका हाथ पकड़कर पंडित ने कहा मेरे बच्चे इधर देखो तो मैं हूं तुम्हारा पिता यह सुनकर बेटे ने बाप की तरफ देखकर चिल्लाकर कहा तुम मुझे बेटा क्यों कह रहे हो मैं तुम्हारा बेटा नहीं हूं कभी तुमने चिड़िया को तकलीफ पहुंचाकर उसके मुंह का खाना छीन लिया था उसी का बदला लेने के लिए मैं तुम्हारा बेटा बनकर तुम्हारे घर पर जन्म लिया था अब याद आया ना जिस तरह मेरे मन को तुमने तकलीफ पहुंचाई थी |
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उसी तरह मैं तेरे मन को तकलीफ पहुंचाकर चला आया बेटे का जवाब सुनकर पंडित निराश हो गया और यमराज के पास उदास होकर बोला वह मेरा बेटा नहीं है पंडित की बात सुनकर यमराज ने उससे कहा तुम लोग बेवजह मुझे कोस रहे थे अब पता चल गया ना किसका कसूर था इतना कहकर यमराज ने दूत को इशारा किया और दूत पंडित की आत्मा लेकर तुरंत उसके पूजा घर में पहुंच गया पंडित के शरीर में उसकी आत्मा डालकर यमदूत चला गया पंडित जागते ही उसकी पत्नी को सपने का सारा हाल बता दिया और उसके बाद पंडित और उसकी पत्नी ने दिवंगत बेटे की याद में आंसू बहाना बंद कर दिया किसी को बुरा बोलना चुगली करना बुराई करना जलन व ईर्षा का भाव रखना यह सब आपकी तरक्की व खुशियों को रोक देते हैं |
आपके जीवन में गहरा प्रभाव डालते हैं कर्म एक ऐसी जगह है जहां हमें उसे बुलाने की जरूरत नहीं पड़ती हमने जो पकाया होता है हमें वही मिलता है कर्म आखिरकार सामने आता है जैसा बोगे वैसा ही का काटोगे जल्द ही या बाद में एक गांव में दो कुत्ते रहते थे दोनों आपस में गहरे और अच्छे मित्र थे साथ-साथ रहते और साथ सोते थे उनमें से एक कुत्ता का काला था तो उसका नाम कालू था दूसरा कुत्ता लाल था तो उसका नाम लालू था एक दिन दोनों कुत्तों ने तीर्थ यात्रा करने की सोची किंतु वे रास्ता नहीं जानते थे |
दोनों ने निश्चय किया कि यात्रा शरू तो करें रास्ता तो अपने आप निकल आएगा एक दिन वह दोनों एक साथ तीर्थ यात्रा पर निकल दिए चलते-चलते उन्हें एक गांव दिखा काफी रात भी हो गई थी तो वह दोनों एक पेड़ के नीचे सो गए थके होने के कारण उन्हें नींद आ गई सुबह होने पर फिर अपनी यात्रा पर निकल पड़े एक गांव पार किया दूसरे गांव के पास पहुंचने पर उन्हें भूख लगी वहां उन्हें चार-पांच चूहे दिखाई दिए लालू की पूंछ खड़ी हो गई वह कालू से कहता है |
क्यों गंडक जी आप फरमाओ तो मैं इन तीन चार चूहों की चटनी बना डालूं कालू ने गर्दन हिलाकर कहा नहीं भाई लालू जी हम तीर्थ यात्रा पर निकले हैं और तीर्थ यात्रा में किसी की हत्या करना पाप होता है तो आप कोई दूसरा उपाय खोजो जिसमें कोई जीव की हत्या ना हो तथा हमें कुछ ऐसा ना खाना पड़े जिससे हमारी तीर्थ यात्रा भंग हो दोनों कुत्ते एक सपाटे पर रुक गए वहां पर एक मंदिर था कुछ देर आराम करने के पश्चात दोनों ने फैसला किया कि अलग-अलग दिशा की ओर चलना चाहिए जिसको जो मिलेगा खा लेंगे एक साथ चलते तो दोनों में से किसी का भी पेट नहीं भरेगा कालू और कालू दोनों अलग-अलग दिशा में निकल गए जाने से पहले उन्होंने तय कर लिया कि वे वापस आकर इसी जगह पर मिलेंगे लालू कुत्ता चलते चलते एक गांव में पहुंचा वहां एक दयालु पंडित रहता था वह पूजा पाठ करके भोजन करने ही जा रहा था |
उसकी पत्नी ने उसके लिए भोजन थाल तैयार कर रखा था पंडित ने भोजन को भोग लगाया ही था कि लालू कुत्ते ने से उसकी थाली में मुंह डाल दिया तथा एक रोटी उठाकर वहां से भाग गया और पंडित ने ईश्वर का नाम लिया और हाथ धोकर उठ गया पंडित ने अपनी पत्नी से कहा बेचारे यह गंडक जी भी कितने भूखे हैं सो आप यह भोजन की थाली इन्हें ही खिला दीजिए पंडित की पत्नी गुस्सा होकर बोली आप यह क्या कह रहे हैं इस गंडक जी को यह थाली इसमें कितने अलग-अलग पकवान है दो तरह की सब्जी अचार दही खीर पूरी पंडित दया भाव से बोला तुम ठीक कहती हो पर यह भी भूखे हैं |
आप तो यह थाली इन्हें ही दे दीजिए सोच लो कि यह थाली इनके ही भाग्य में लिखी थी इसके पश्चात पंडित ने लालू कुत्ते को खूब पेट भर कर भोजन करवाया लालू ने उसे खूब दुआएं दी उधर कालू कुत्ता एक किसान के यहां पहुंचा किसान अपने खेत में चक्कर लगा रहा था और जंगली जानवरों को खेत से बाहर निकाल रहा था किसान की पत्नी खाने की थाल रखकर गई थी थाल में भिंडी की सब्जी थी और बाजरे की रोटियां थी खेत का काम पूरा करके वह थाल खोलकर खाना खाने को तैयार हुआ ही था कि कालू ने तुरंत ही उसके भोजन में मुंह डाला और थोड़ी सी रोटी का टुकड़ा तोड़कर भागा किसान एकदम से गुस्से में आ गया और खड़ा उठा उसकी आंखें अंगारों की तरह लाल हो गई उसने अपनी लाठी उठाई गाली देते हुए |
उसने लाठी से इतनी जोर से वार किया कि कुत्ते की कमर टूट गई वह पीड़ा से चिल्लाने लगा कमर टूट जाने के कारण वह भाग ही नहीं सकता था इसी बीच उसकी कमर में तीन-चार लाठियां और पड़ गई कुत्ता अधमरा हो गया उसका साठी लालू चौराहे पर खा पीकर आराम कर रहा था वह खड़े होकर अपने साथी का इंतजार कर रहा था उसका साथी उसे कहीं भी नजर नहीं आ रहा था लाचार और उदास होकर वह चौराहे पर बैठ गया थोड़ी देर बाद उसे कालू अपनी तरफ नजर आते हुए खुश हो गया वह जल्दी से उसकी ओर भागा उसकी टूटी हुई कमर देखकर वह बहुत दुखी हुआ और पूछने लगा भाई तुम्हारे साथ ऐसी दुर्दशा किसने किया कौन पापी है |
जिसने एक रोटी के लिए तुम्हारी कमर ही तोड़ डाली कालू की आंखें भर आई उसने पीड़ा से कहते हुए सारी बात सुनाई कालू की बात सुनकर वह क्रोध तथा दुख में डूबकर बोला मैं उससे अपना बदला जरूर लूंगा उस किसान को बताऊंगा कि खुद की कमर किस प्रकार टूटती है तो कैसा लगता है लालू भी बोला मुझे भी उस पंडित का कर्ज चुकाना है उसने मुझ पर कितनी कृपा की है मैं रोम रो से उसे आशीष देता हूं इसी प्रकार बातचीत करते हुए दोनों कुत्तों ने अंत में यह निश्चय किया कि उन्हें प्राण त्याग देना चाहिए तथा प्राण त्यागने के बाद उनके के घरों में जन्म लेना चाहिए|
इत्तेफाक से ना तो किसान के घर कोई पुत्र था और ना ही पंडित के दोनों कुत्तों ने मंदिर आगे जाकर अपने प्राण त्याग दिए एक ही पल में दोनों मृत्यु को प्राप्त हो गए कुछ समय पश्चात कालू ने किसान के घर जन्म लिया किसान बहुत खुश था किंतु की खुशी अगले ही दिन विलुप्त हो गई घर में इस पुत्र के जन्म होते ही उसकी पत्नी अस्वस्थ रहने लगी उसका बैल मर गया पहले जन्मदिन पर किसान के हरे भरे खेत को जानवर ने तहस-नहस कर दिया और दूसरी तरफ पंडित के घर भी पुत्र का जन्म हुआ पंडित और उसकी पत्नी बहुत खुश थे कुछ समय बाद पुत्र के बड़े होते ही राज दरबार में पंडित का पद ऊंचा हो गया पंडित ने राजा को एक युद्ध में जीत की बात बताई |
एक दो दिन बाद राजा युद्ध जीत गया इससे खुश होकर राजा ने पंडित को राज पंडित नियुक्त कर दिया उसे अपार धन तथा एक महल भेंट किया जैसे-जैसे पंडित का बेटा बड़ा होता गया वैसे-वैसे वह भी पिता के समान तेजस्वी निकलता गया उसने छोटी उम्र में सारे शास्त्रों का अध्ययन कर लिया वह बड़े-बड़े विद्वानों और पंडितों को शास्त्रार्थ में हरा देता था से पंडित के जीवन में चार चांद लग गए थे उधर दूसरी तरफ किसान का बेटा नकारा निकला वह बात-बात पर अपने बाप को गालियां देता था उसे डांटता था वह जुआ खेलकर बचे कुचे धन को उड़ाने लगा वह किसान बहुत ही दुखी हो गया था उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था आखिर अंत में उसने सोचा कि इसको सुधारने का कोई उपाय करना चाहिए |
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इस तरह विचार करते हुए वह एक बुद्धिमान व्यक्ति के पास पहुंचा उसने उसके सामने अपनी समस्या बताई बुद्धिमान आदमी बोला किसान को बोला तुम इसकी शादी कर दो शादी की नकेल अच्छों को सीधा कर देती है किसान ने तुरंत घर जकार अपनी पत्नी को बात बात आई अपनी बेटे की शादी करने की सोची वह लड़की की तलाश करने लगा दूसरी तरफ पंडित का विचार भी अपने बेटे की शादी करने का हुआ उसने भी अपने बेटे के लिए लड़की की तलाश की कुछ दिनों बाद पंडित के बेटे का एक कन्या से उसका विवाह हो गया |
उसके बेटे की पत्नी भी सुखी उसके आते ही घर को स्वर्ग बना दिया उसके बाद किसान ने भी अपने पुत्र का विवाह करा लिया शादी बड़े अच्छे से हो गई शादी के अगले दिन ही उसका बेटा अचानक चल बसा उसकी पत्नी रोने लगी वह किसान बेहोश हो गया होश में आते ही वह दीवार से सिर मार-मार कर रोने लगा और चिल्लाने लगा हाय मेरा बेटा मेरी कमर तोड़कर चला गया पंडित का बेटा उसी गांव में कथा कह रहा था इस संसार में जो जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है|
किसी भी व्यक्ति को दो रंगों में कर्म फल मिलता है कर्म आखिरकार सामने आता है जैसा बोग है वैसा ही काटोगे जल्द ही या बाद में ब्रह्मांड आपको वह परोस देगा जिसके आप हकदार हैं कर्म ही व्यक्ति की पहचान का मुख्य आधार होता है आपके कर्म आपके चरित्र को परिलक्षित करते हैं जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें हमेशा सकारात्मक कर्म करने चाहिए क्योंकि कर्म ही हमारे भविष्य को निर्धारित करते हैं |
दोस्तों आपने आज के इस कहानी से क्या सीखा वह मुझे आप कमेंट में बता सकते हैं इसी के साथ में उम्मीद है कि आपको आज की कहानी पसंद आई होगी तो इस कहानी को उस इंसान को शेयर करें जिससे यह कहानी सुनने की जरूरत है तो चलिए फिर मिलते हैं ऐसी एक और नई कहानी में एक नए मैसेज के साथ तब तक के लिए अपना ख्याल रखें धन्यवाद और नमो बुद्धाय !
निष्कर्ष
इस बौद्ध कथा से हम सीखते हैं कि हमारे कर्मों का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अच्छे कर्म हमें सुख और शांति की ओर ले जाते हैं, जबकि बुरे कर्म दुख और पीड़ा का कारण बनते हैं। इसलिए, हमें सदैव अच्छे कर्म करने का प्रयास करना चाहिए ताकि हमारे जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहे।
FAQs:-
1. कर्म क्या है?
कर्म का अर्थ है किसी भी प्रकार की क्रिया या कार्य जो हम करते हैं। यह शारीरिक, मानसिक या वाचिक हो सकता है।
2. कर्म का चक्र क्या होता है?
कर्म का चक्र वह प्रक्रिया है जिसमें हमारे कर्म हमारे भविष्य को प्रभावित करते हैं। यह एक सतत प्रक्रिया है जो पुनर्जन्म तक चलती रहती है।
3. क्या बुरे कर्मों का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है?
हाँ, बुरे कर्मों का परिणाम अक्सर बुरा ही होता है, क्योंकि यह दुख और पीड़ा को आकर्षित करता है।
4. क्या अच्छे कर्मों से जीवन में सुख प्राप्त होता है?
हाँ, अच्छे कर्मों से जीवन में सुख, शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह हमें सकारात्मक ऊर्जा और अच्छे अनुभवों की ओर ले जाता है।
5. कर्मों का प्रभाव कब तक रहता है?
कर्मों का प्रभाव जीवन भर रहता है और पुनर्जन्म के बाद भी यह चक्र चलता रहता है।
Tags:-
बौद्ध कथा, कर्म का चक्र, पुनर्जन्म, आत्मज्ञान, बौद्ध धर्म, प्रेरणादायक कहानियाँ, जीवन के सत्य, आध्यात्मिकता, अच्छे कर्म, जीवन की शिक्षाएँ

