अमृत की खेती | बुद्ध और किसान की कहानी | Amrit ki kheti |

अमृत की खेती

अमृत की खेती | बुद्ध और किसान की कहानी | Amrit ki kheti |

अमृत की खेती एक बार भगवान बुद्ध भिक्षा के लिए एक किसान के यहां पहुंचे तथागत को भिक्षा के लिए आया देखकर किसान उपेक्षा से बोला | श्रमण मैं हल जोतता हूं और तब खाता हूं | तुम्हें भी हल जोतना और बीज बोना चाहिए और तब खाना खाना चाहिए | बुद्ध ने कहा महाराज मैं भी खेती ही करता हूं | इस पर किसान को जिज्ञासा हुई बोले गौतम मैं ना तुम्हारा हल देखता हूं ना बैल और ना ही खेती के स्थल तब आप कैसे कहते कि आप भी खेती ही करते हैं | आप कृपया अपनी खेती के संबंध में समझाई बुद्ध ने कहा महाराज मेरे पास श्रद्धा का बीज तपस्या रूपी वर्षा प्रजा रूपी जोत और हल है पाप भीरु होता का दंड है | विचार रूपी रस्सी है स्मृति और जागरूकता रूपी हल्की फाल और पेनी है | 


मैं वचन और कर्म में संयत रहता हूं मैं अपनी इस खेती को बेकार घास से मुक्त रखता हूं और आनंद की फसल काट लेने तक प्रयत्नशील रहने वाला हूं | अप्र माद मेरा बैल है जो बाधाएं देखकर भी पीछे मुंह नहीं मोड़ता है | वह मुझे सीधा शांति धाम तक ले जाता है इस प्रकार मैं अमृत की खेती करता हूं | 


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मृत्यु के उपरांत क्या एक बार बुद्ध से मलुक पुत्र ने पूछा भगवन आपने आज तक यह नहीं बताया कि मृत्यु के उपरांत क्या होता है | उसकी बात सुनकर बुद्ध मुस्कुराए फिर उन्होंने उससे पूछा पहले मेरी एक बात का जवाब दो अगर कोई व्यक्ति कहीं जा रहा हो | अचानक कहीं से आकर उसके शरीर में एक विष बुझा बाण घुस जाए तो उसे क्या करना चाहिए | पहले शरीर में घुसे बाण को हटाना ठीक रहेगा या फिर देखना कि बाण किधर से आया है और किसे लक्ष्य कर मारा गया है | मलुक पुत्र ने कहा पहले तो शरीर में घुसे बाण को तुरंत निकालना चाहिए |  


अन्यथा विष पूरे शरीर में फैल जाएगा | बुद्ध ने कहा बिल्कुल ठीक कहा तुमने अब यह बताओ कि पहले इस जीवन के दुखों के निवारण का उपाय किया जाए या मृत्यु की बाद की बातों के बारे में सोचा जाए | मलुक पुत्र अब समझ चुका था और उसकी जिज्ञासा शांत हो गई बुद्ध ने कहा सबका हित करो | 


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एक दिन एक व्यक्ति बुद्ध के पास पहुंचा वह बहुत अधिक तनाव में था | अनेक प्रश्न उसके दिमाग में घूम घूम कर उसे परेशान कर रहे थे | जैसे आत्मा क्या है आदमी मृत्यु के बाद कहां जाता है सृष्टि का निर्माता कौन है स्वर्ग नरक की अवधारणा कहां तक सच है और ईश्वर है या नहीं उसे इन प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे थे | जब वह बुद्ध के पास पहुंचा तो उसने देखा कि बुद्ध को कई लोग घेर कर बैठे हैं | बुद्ध उन सभी के प्रश्नों व जिज्ञासाओं का समाधान अत्यंत सहज भाव से कर रहे हैं | 


काफी देर तक यह क्रम चलता रहा किंतु बुद्ध धर्य पूर्वक हर एक को संतुष्ट करते रहे | बेचारा व्यक्ति वहां का हाल देखकर परेशान हो गया | उसने सोचा कि इन्हें दुनियादारी के मामलों में में पढ़ने से क्या लाभ अपना भगवत भजन करें और बुनियादी समस्याओं से ग्रस्त इन लोगों को भगाएं किंतु बुद्ध का व्यवहार देखकर तो ऐसा लग रहा था मानो इन लोगों का दोहक उनका अपना दोहक है | आखिर उस व्यक्ति ने पूछ ही लिया महाराज आपको इन सांसारिक बातों से क्या लेना देना बुद्ध बोले मैं ज्ञानी नहीं हूं और इंसान हूं | 


वैसे भी वह ज्ञान किस काम का जो इतना घमंडी और आत्म केंद्र हो कि अपने अतिरिक्त दूसरे की चिंता ही ना कर सके ऐसा ज्ञान तो अज्ञान से भी बुरा है | बुध की बातें सुनकर व्यक्ति की उलझन दूर हो गई | उस दिन से उसकी सोच व आचरण दोनों बदल गए कथा का सार यह है कि ज्ञान तभी सार्थक होता है | जब वह लोक कल्याण में संलग्न हो |


निष्कर्ष:-

"अमृत की खेती" बुद्ध और एक साधारण किसान के बीच एक संवाद पर आधारित कहानी है, जिसमें जीवन की गहराई और साधारणता में छुपे असीमित ज्ञान का प्रकाश डाला गया है। इस कहानी के माध्यम से पाठकों को यह सिखाया जाता है कि किस तरह से नम्रता, कड़ी मेहनत और समर्पण जीवन को अमृतमय बना सकते हैं। बुद्ध द्वारा किसान को दी गई शिक्षा आज के युग में भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी कि पहले थी।

FAQs

1. कहानी "अमृत की खेती" का मुख्य संदेश क्या है?

कहानी का मुख्य संदेश है कि सच्ची खुशी और संतोष किसी बाहरी चीज़ में नहीं, बल्कि अपने काम में लगन, समर्पण और नम्रता में निहित है।

2. बुद्ध और किसान के बीच संवाद क्या होता है?

संवाद में बुद्ध किसान को जीवन में अमृत खोजने की कला सिखाते हैं, जिसका आधार है उनका अपने काम के प्रति समर्पण और उसे अनुष्ठान की तरह अपनाना।

3. इस कहानी से हम किस प्रकार की प्रेरणा ले सकते हैं?

इस कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने कार्यों में गर्व और समर्पण की भावना रखनी चाहिए, साथ ही साधारणता में भी सुंदरता को पहचानना चाहिए।

4. कहानी में किसान की भूमिका क्या है?

किसान की भूमिका एक शिक्षार्थी की है, जो बुद्ध से जीवन की गहराई और सार्थकता के बारे में सीखता है।

5. इस कहानी को पढ़कर पाठकों को किस प्रकार की भावनाएँ महसूस हो सकती हैं?

पाठकों को इस कहानी को पढ़कर प्रेरणा, संतोष, और जीवन के प्रति एक नई दृष्टि मिल सकती है, साथ ही वे अपने काम के प्रति और भी अधिक समर्पित हो सकते हैं।

Tags

बुद्ध, किसान, जीवन शिक्षा, समर्पण, अमृत, संतोष, प्रेरणा