ये 5 चीजें शरीर को ताकत और ऊर्जा से भर देंगी || गौतम बुद्ध की इस कहानी से |

 

ये 5 चीजें शरीर को ताकत और ऊर्जा से भर देंगी || गौतम बुद्ध की इस कहानी से |

इस कहानी को आपको बहुत ही ध्यानपूर्वक पढाना और समझना होगा | इस कहानी की हर एक सीख को अपने जीवन में उतारना होगा | तभी इस कहानी का मकसद पूरा हो सकेगा | क्योंकि इस कहानी में कुछ ऐसे रहस्य है कुछ ऐसी बातें हैं जिसे जानने के बाद आपको यह एहसास होगा कि आपका सबसे बड़ा धन क्या है आपका सबसे बड़ा ऐश्वर्य हमारा स्वस्थी ही है तो चलिए कहानी शुरू करते हैं |

दोस्तों इस दुनिया में ताकतवर को नियति की यहां जगह मिलती है | कमजोर की यहां कोई जगह नहीं यह बात आपने सुनी ही होगी और इस बात से आप भलीभांति परिचित भी होंगे | इस बात में कोई शक नहीं कि पुराने जमाने में जो लोग हुआ करते थे | वह आज के जमाने की इंसानों से कहीं ज्यादा ताकतवर थे और ऐसा इसलिए है क्योंकि वे लोग जिंदा रहने के लिए खाना खाते थे और आजकल के लोग सिर्फ जीभ के स्वाद के लिए खाना खाते आप एक और तथ्य से वाकिफ होंगे कि एक रोटी से 10 गुना ज्यादा ताकत आटे में होती है | आटे से 10 गुना अधिक ताकत दूध में होती है और दूध से आठ गुना अधिक ताकतवर मांस आहार होता है और मांस आहार से 10 गुना ज्यादा ताकतवर घी होता है |

लेकिन यदि आप आज के समय पर देखेंगे यदि किसी व्यक्ति को घी खाने के लिए दिया जाए | तो वह ज्यादा से ज्यादा एक चम्मच ही उसका सेवन कर सकता है | उसके ऊपर वह नहीं खा पाएगा लेकिन यदि हम पुराने जमाने के इंसानों की बात करें | तो उस समय पर घी उनका सर्वश्रेष्ठ भोजन होता था |

आपने महाराणा प्रताप के बारे में तो सुना ही होगा | वह जितना वजन लेकर युद्ध भूमि पर लड़ते थे | उतना वजन तो आज के चार आदमी भी उठा नहीं पाएंगे इसीलिए कहा जाता है कि तब के जमाने के लोग सचमुच जीवन जीते थे और आज के लोग तो केवल जबरदस्ती इस जीवन को जी रहे हैं बहुत समय पहले की बात है | एक छोटा सा राज्य था | उस राज्य का राजा बहुत दयालु था और वहां की सेना भी बहुत पराक्रमी थी उससे ना मैं एक ऐसा व्यक्ति भी था जो अत्यधिक पराक्रम था और वह उस राज्य का सर्वश्रेष्ठ योद्धा था |

वह इतना ताकतवर था कि एक साथ वह 50 लोगों को भी परास्त कर सकता था और राजा उसके इस पराक्रम से हमेशा बहुत खुश रहते थे | जब भी उससे कोई युद्ध करने जाता तो वह पहले 100 बार सोचा करता कि क्या उसे युद्ध करना आसान है क्या उसे हराना आसान है | हर कोई जानता था कि वह बहुत शूरवीर है बहुत ताकतवर है इसलिए उसे हराना लगभग असंभव था |

अपने राजा के लिए हमेशा तत्पर रहता अपने राज्य के राजा के लिए अपनी प्रजा के लिए जो कुछ उसे अच्छा होता वह उसे अवश्य करता एक बार की बात है | वह शूरवीर योद्धा अपना पराक्रम दिखा रहा था | उसी वक्त उसके दोनों पुत्र वहां पर आए हुए थे राजा ने उसके दोनों पुत्रों को देखा और राजा के मन में यह लालसा जगी आने वाले समय में हमारे राज्य के लिए इनमें से सबसे सर्वश्रेष्ठ योद्धा कौन होगा |


हमारे राज्य के लिए योग कौन होगा यह बात जब उस योद्धा के कानों में पड़ी | तो वह अत्यधिक चिंतित हो गया उस योद्धा के दो पुत्र थे जो बड़ा वाला बेटा था | वह हर चीज का हुनर सीख चुका था फिर चाहे वह तलवारबाजी हो लोगों से बोलना हो आग से खेलना हर तरफ की चालबाजी से वह संपूर्ण था उसे जो कुछ भी सिखाया जाता वह उसे सीखने में निपुण था | वह बहुत जल्द उस विद्या को उस कला को सीख जाता था | यदि हर कोई यही कहता कि अगला योद्धा यही होगा |


यही हमारे राज्य के लिए सर्वश्रेष्ठ योद्धा बन सकता है लेकिन उस योद्धा का एक छोटा पुत्र भी था जो बहुत कमजोर था | जिससे कोई भी चीज सीखने में अत्यधिक समय लगता था और उसे देखकर कोई भी यह नहीं कहता था कि या कभी योद्धा बन सकेगा | उसे उसके पिता ने बहुत कुछ सीखने का प्रयास किया लेकिन वह कभी भी कुछ सीख नहीं पाया ना ही तो वह अच्छी तलवारबाजी कर पाता था ना ही उसे एक योद्धा की तरह जीना आता था | वह हमेशा आलसिरम जब भी वह योद्धा अपने दोनों पुत्रों को एक साथ देखता | तो उसे बहुत चिंता होती उसे बहुत तकलीफ होती क्योंकि वह अपने दोनों पुत्रों को एक समान बनाना चाहता था | वह अपने दोनों पुत्रों में कोई फर्क नहीं

समझता था | लेकिन जब भी कोई यह कहता कि बड़ा पुत्र अत्यधिक बलवान है शूरवीर है |


वह एक योद्धा जरूर बनेगा और जब वहीं पर छोटे बच्चे के लिए कोई यह कहता यह तो कमजोर है आलसी है यह भला क्या कर पाएगा यह सुन उस योद्धा को बहुत तकलीफ होती बहुत दुख होता लेकिन वह योद्धा यह जानता था कि इसमें उसके छोटे बेटे की कोई गलती नहीं है |


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उसका व्यवहार दूसरों से अलग है और यह दूसरों से थोड़ा कमजोर है लेकिन इससे कुछ बातों का ध्यान रखना होगा | तभी यह दूसरों के साथ पराक्रमी बन सकता है दूसरों जैसा तलवारबाज बन सकता है दूसरों जैसा सर्वश्रेष्ठ योद्धा भी बन सकता है | इस बात का ध्यान रखते हुए वह योद्धा अपने उस बेटे को लेकर एक गुरु के पास पहुंचा | यह वही आश्रम था जहां उस योद्धा ने भी शिक्षा ग्रहण की थी | वह उस गुरु को भलीभांति जानता था और यह भी जानता था कि वह गुरु उसके छोटे बेटे को शिक्षा अवश्य देंगे |


जिससे वहां भी अन्य लोगों की तरह पराक्रमी और शूरवीर बन सकता है वह भी उन गुरु के पास ले गया | उन्हें प्रणाम किया और कहने लगा हे गुरु मैं चाहता हूं कि मेरा बच्चा आपसे शिक्षा ग्रहण करें | यह थोड़ा आलसी है थोड़ा कमजोर है और यह कभी कुछ सीखना ही नहीं चाहता जबकि मेरा बड़ा बेटा बहुत साहसी है शूरवीर है ताकतवर है पराक्रमी है और इस राज्य को ऐसे ही लोगों की आवश्यकता है |


लेकिन मेरा यह छोटा बेटा जो कि मेरी चिंता का कारण बना हुआ है मैं चाहता हूं कि अभी पराक्रमी बने शूरवीर बने ताकतवर बने ताकि इस राज्य का हर कोई इसके भी गुण गाए मैंने बहुत प्रयास किए मैंने कई तरह के उपाय भी किए ताकि अपने जीवन में कुछ कर सके कुछ सीख सके | लेकिन यह कभी कुछ सीखना ही नहीं चाहता | मैं चाहता हूं कि मेरे दोनों पुत्र एक बराबर किसी में कोई कमी ना इन दोनों को एक बराबर अधिकार मिले | लेकिन यह अपने आलस के कारण अपनी कमजोरी के कारण हमेशा पीछे रह जाता है | मैंने इसे कई बार समझाया लेकिन यह है कि मेरी बातों को मानता ही नहीं मैं अपने दोनों बेटों में कोई भेदभाव नहीं रखना चाहता |


मैं दोनों को एक बराबर बनाना चाहता हूं | उस योद्धा की यह सारी बातें सुनकर वह गुरु उस योद्धा से कहते हैं | मैं

जानता हूं तुम्हारे पुत्र को क्या तकलीफ है | मैं इसे वैसा ही बना दूंगा जैसा तुम चाहते हो लेकिन इसके लिए तुम्हें इसे कुछ दिन के लिए मेरे पास यहां पर आश्रम में छोड़ना होगा और मैं तुम्हें यकीन दिलाता हूं कि जब तुम वापस इसे लेने जाओगे | तो तुम्हें तुम्हारा यह पुत्र इस प्रकार नहीं दिखेगा | इसकी जगह पर तुम्हें वह पराक्रमी वो ताकतवर बेटा मिलेगा जैसा तुम चाहते वह गुरु अत्यधिक आत्मज्ञानी थे | बस उस योद्धा के पुत्र को देखकर यह समझ चुके थे कि उसे क्या तकलीफ है और उसे किस तरह से ठीक किया जा सकता है | उसे किस तरह से पराक्रमी बनाया जा सकता है क्योंकि आखिर वह एक ऐसे योद्धा का पुत्र है | जिसे अभी तक कोई हरा नहीं सका था बस उसे इस बात का एहसास करवाना ही काफी था | उस गुरु के कहने पर अपने पुत्र को वहीं पर छोड़कर वापस अपने घर की ओर लौट जाता है |


उसके बाद उस योद्धा का वह पुत्र एक शिष्य बनकर उन गुरु के आश्रम में रहने लगता है | वहां के सारे कामकाज करने लगता है वहां पर वह सीखने लगता है समझने लगता और इसी प्रकार कई दिन बीत जाते हैं और एक दिन सही समय आने पर वह गुरु उस योद्धा के पुत्र से कहते हैं | चलो आज मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूं इतना कहकर वह गुरु उस योद्धा के पुत्र का हाथ पकड़ लेते और उसे लेकर एक पहाड़ी की ओर ऊपर की ओर बढ़ चलते उस पहाड़ी के ऊपरी छोर पर ले जाकर वह गुरु उस पुत्र से कहते हैं | आज मैं तुम्हें कुछ सिखाने वाला हूं पुत्र तुम्हें ध्यान से सीखना होगा क्योंकि यदि तुमने आज यह बात नहीं सीखी | तो तुम अपने जीवन भर कुछ नहीं

कर पाओगे कुछ नहीं सीख पाओगे और हमेशा लोग तुम्हें कमजोर और असहाय समझेंगे और उसी दृष्टि से तुम्हें देखा जाएगा धीरे-धीरे कई दिन बीत चुके हैं और अब तुम्हारे घर जाने का वक्त भी करीब आ चुका है |


इसलिए आज मैं तुम्हें यहां पर लेकर आया हूं ताकि मैं तुम्हें सीखा सकूं यह समझा सकूं कि तुम इस धरती पर क्यों आए तुम्हारे आने का क्या कारण है इतना कहकर वह गुरु उस पुत्र को ऊपर की ओर इशारा करते हुए कहते हैं | ऊपर ध्यान से देखो उस चील को उस चील ने अपने पंजों में अपना नवजात शिशु रखा हुआ है | वह चील ऊपर की ओर बढ़ती चली जा रही थी | इतनी ऊंची जाती कि बादलों को चीर कर ऊपर बढ़ती ही चली जाती और वहां पर पर जाकर वह अपने बच्चे को छोड़ दे | यदि वह छोटा सा बच्चा डर गया | उसे यह समझ नहीं आ रहा था क्या आखिर उस चील ने अपने ही बच्चे को इस तरह से नीचे क्यों फेंक दिया गुरु और शिष्य दोनों इस दृश्य को बड़े ही ध्यानपूर्वक देख रहे थे |


जैसे ही उस चील ने अपने उस बच्चे को नीचे की ओर छोड़ा वह बच्चा तेजी से एक पत्थर की भांती नीचे की ओर गिरता चला जा रहा था और वह जब तेजी से नीचे आने लगा तो उसने कई बार कोशिश की कई बार प्रयास किए कि वह अपने पंखों को खोल सके फड़फड़ा सके | जिससे वह हवा की उस रुख का फायदा ले सके वह भी उड़ सके | लेकिन उसके कई अथक प्रयास के बाद भी उसके पंख नहीं खुल पा रहे थे और वह एक पत्थर की भांति तेजी से नीचे गिरता चला जा रहा था | जैसे-जैसे वह नीचे गिरता जा रहा था उसकी मां भी ठीक उसके पीछे ही थी | उसने ऊपर से अपने पंजे में फिर एक बार अपने उस बच्चे को पकड़ लिया | एक बार फिर वह चील अपने उस बच्चे को लेकर आकाश में ऊपर ऊंचाई की तरफ बढ़ती चली जाती है और फिर से वह ऊंचाई पर जाकर अपने बच्चे को ठीक उसी प्रकार छोड़ देती है |


यह देख उस बच्चे को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिरी चील अपने बच्चे के साथ ऐसा क्यों कर रही है | यदि

उसके बच्चे को कुछ हो गया तो फिर क्या होगा चील लगातार इसी प्रक्रिया को दोहरा रही थी | गुरु अपने उस शिष्य का हाथ पकड़ते हुए बस पेड़ की ओर आगे बढ़े जहां पर वह चील रहा करती थी और उस जगह को दिखाते हुए | वह गुरु उस पुत्र से कहते हैं कि इस जगह को ध्यान से देख लो ठीक इसी जगह पर वह चील और उसका बच्चा इस पेड़ पर रहते हैं | तुमने एक बात और गौर की इस पेड़ पर तुम्हें अनेकों फूल देखने को मिल रहे होंगे |

लेकिन जहां पर यह चील और इसका बच्चा रहता है | वहां पर तुम्हें एक भी फूल नजर नहीं आएंगे क्योंकि फूल बड़े ही कोमल होते और वह चील चाहती तो इन फूलों को अपने साथ जहां पर रहती है उसे रख सकती थी लेकिन वह जानती है कि फूलों में रहकर उसका बच्चा एक पक्षी बनेगा लेकिन जब वह कांटों वाले घोंसले में रहेगा तभी एक चील बन पाएगा और एक चील के बच्चे को हर तरह की यातनाएं बचपन से ही सहनी पड़ती है ताकि वह अन्य पक्षियों की तरह कोमल ना बने क्योंकि वह एक चील का पुत्र है और उसे चील की तरह अपना जीवन व्यतीत करना है |


यदि वह बाकी पक्षियों की तरह बनेगा तो उसमें चील वाले वह स्वभाव नहीं होंगे और ना ही उसे कोई चील का पुत्र कह सकेगा | ठीक इसी प्रकार तुम भी एक शूरवीर योद्धा के पुत्र हो यदि तुम चाहो तो अन्य लोगों की तरह अपना जीवन व्यतीत कर सकते हो |


तुम फूलों का आनंद ले सकते हैं लेकिन तुम एक योद्धा के पुत्र हो इसलिए तुम्हें भी कांटों की राहों पर चलना ही होगा | इन कांटों की राह पर चलकर ही तुम अपने आप को मजबूत बना पाओगे | अपने आप को शूरवीर और पराक्रमी बना सकोगे ठीक वैसा ही यह चील भी कर रही है वह भी अपने पुत्र को पराक्रमी और शूरवीर बना रही है | वह अपने बच्चे को उड़ान भरना सीखा रही हैं वह बार-बार जाकर अपने बच्चे को इसीलिए नीचे पटक रही है ताकि उसका बच्चा खुद बखुदा ना सहनी पड़ती उसे इस तरह से किसी भी क्रिया से ना गुजरना पड़ता वह फूलों के घोंसले में रह सकता था |


वह फूलों में पैदा होता और फूलों में ही खत्म हो जाता लेकिन चील के बच्चे का एक नियम होता है | एक नियति होती है कि नियति उसे तभी जिंदा रखेगी जब वह पराक्रमी होगा शूरवीर होगा और उसे वह सारे हुनर व सारे पराक्रम सीखने ही होंगे | ठीक उसी प्रकार तुम भी एक शूरवीर योद्धा के पुत्र एक पराक्रमी योद्धा के पुत्र इसलिए तुम्हें भी वह हुनर सीखना ही पड़ेगा अन्यथा अन्य पक्षियों की तरह तुम भी अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाओगे तुम भी एक दिन फूलों में झी करर फूलों में ही मर जाओगे |


यह सब देखकर वह पुत्र उन गुरु के चरणों में गिर पड़ा उन्हें प्रणाम की और कहने लगा हे गुरुदेव मुझे अपनी गलती का एहसास हो चुका है मुझे यह पता चल चुका है कि मैं एक शूरवीर योद्धा का पुत्र हूं और मुझे अपना जीवन इसी तरह से जीना है मुझे इस हुनर को सीखना ही होगा इतना कहकर वह गुरु और शिष्य वापस आश्रम की

ओर लौट जाते हैं वहां पहुंचने के बाद वह गुरु अपने उस शिष्य से कहते हैं | मैं तुम्हें कुछ ऐसी बातें बताने जा रहा हूं जिससे तुम्हें अपने जीवन में उतारना होगा |


यदि तुम इन बातों को अपने जीवन में उतार लेते हो और इसे तुम्हें जीवन भर याद रखना होगा | जो कुछ तुमने अभी उस चील से सीखा है वह तुम्हारे लिए एक ऐसी सीख है जिससे तुम्हें कभी नहीं भूलना चाहिए लेकिन तुम एक चील नहीं हो और चील की बच्चों की तरह तुम इन ञान को भी अर्जित नहीं कर सकते आखिर तुम एक इंसान हो और तुम्हें इंसानों की तरह ही अपने शरीर को बनाना होगा आज मैं तुम्हें कुछ बातें बताने जा रहा हूं | जो तुम्हें अपने घर जाकर करनी होगी जिससे तुम एक पराक्रमी योद्धा बन सकोगे और अपने शरीर को स्वस्थ रख पाओगे क्योंकि एक शूरवीर हमेशा अपने शरीर का ध्यान रखता है वह हमेशा अपने शरीर को चुस्ती और फुर्तीला बनाए रखता है जिसके कारण वह कभी बीमार नहीं पड़ता तुम्हें भी इस बात का ध्यान पूर्वक ध्यान रखना होगा तुम्हें सुबह जल्दी उठना होगा छ से आठ घंटे की नींद तुम्हारे लिए महत्त्वपूर्ण है इससे ज्यादा कभी मत सोना |


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सुबह जल्दी उठकर अपना जो हुनर है उसका अभ्यास करना जिस प्रकार तुम्हारे पिता एक योद्धा हैं पर सुबह उठकर अपने सभी हुनर का अभ्यास करते ठीक उसी प्रकार तुम्हें भी सुबह उठकर अपने सभी हुनर का अभ्यास करना होगा योगा प्राणायाम करना होगा | जिससे तुम्हारा शरीर पूरी तरह से स्वस्थ होगा और जितना तू अपने शरीर को स्वस्थ रखोगे उससे भी ज्यादा तुम अपने अंदर की शक्तियों को समर्थ बना पाओगे और तुम्हें एक बात और याद रखनी होगी जितना तुम्हें अपने ऊपरी शरीर का ध्यान रखना है | उतना ही तुम्हें अपने भीतर के शरीर का भी ध्यान रखना है अर्थात अपनी मानसिक शक्ति का भी तुम्हें ध्यान रखना होगा | इसे भी बढ़ाना होगा और यह मानसिक शक्ति तुम्हें ध्यान से मिलेगी | इसलिए हमेशा ध्यान करना हमेशा सुबह उठकर प्राणायाम करना हमेशा सुबह उठकर योगा करना |


यह तुम्हें मजबूती प्रदान करेंगे और यदि इसके बाद भी तुम सुबह जल्दी नहीं उठ पाते तुम इस आदत को नहीं अपना पाते तो मेरा एक और सबक याद रखना | जिस दिन तुम उठने में लेट हो जाओ अर्थात जितना समय तुम देरी से उठो अपने शरीर पर उतने ही कोड़े मरवाना जब तुम यह क्रिया चार से पांच दिन करोगे | तो तुम खुद ही अपने आप में वह बदलाव देख पाओगे कि तुम अपने आप ही अपने समय पर उठना शुरू कर पाओगे दूसरी बात जो तुम्हें हमेशा ध्यान रखनी है कि तुम्हें हमेशा स्वादिष्ट और स्वस्थ खाना ही खाना है | ऐसी चीजें कभी मत खाना जो तुम्हारे शरीर को नुकसान पहुंचाती है |


हमेशा तुम स्वस्थ खाना ही खाना जैसे हरी सब्जियां फल दूध दही तुम भोजन अपने शरीर के लिए करना ना कि अपनी जीभ के लिए ना ही स्वाद के लिए अगली बात वह गुरु अपने शिष्य से कहते हैं कि जब भी तुम्हारे मन में कोई चिंता हो कोई ऐसा विषय हो जिसे लेकर तुम बहुत चिंतित हो तो ऐसी बात अपने घर परिवार में अवश्य बताना यदि तुम इन बातों को अपने मन में रखते हो तो यह बातें तुम्हें मन ही मन कमजोर बनाती चली जाएगी | यह चिंता तुम्हें अंदर ही अंदर खाती चली जाएगी और तुम खोखले होते चले जाओगे और याद रखना जब हमारा मन बीमार पड़ता है तो वह हमारे शरीर को भी बीमार कर देता है |


इसलिए कोई भी बात कभी छुपाकर मत रखना हर बात अपने घर वालों और और अपने परिवार को अवश्य बताना आगे वह गुरु अपने उस शिष्य से कहते हैं | हमेशा सकारात्मक सोच रखना कभी भी नकारात्मक विचार अपने दिमाग में आने मत देना सबके जीवन में उतार और चढ़ाव तो आते ही रहते हैं | सभी के जीवन में सुख और दुख लगा ही रहता है कभी अच्छा तो कभी बुरा जीवन इसी प्रकार चलता है |


तुम्हारे जीवन में समय चाहे कैसा भी क्यों ना आए लेकिन तुम्हें हमेशा एक सकारात्मक सोच ही अपनानी है जिससे तुम अपने जीवन में आने वा ली कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना हंसते हुए और बड़ी ही सरलता से उसका सामना कर सको और जीवन में आगे बढ़ पाओगे अगली बात जो तुम्हें याद रखनी चाहिए क्यों तुम्हें

हमेशा मुस्कुराते रहना है |


क्योंकि एक योद्धा यदि चिंतित हो तो उसका राज्य भी चिंतित हो सकता है और तुम्हारी मुस्कुराहट से ही सबको ताकत मिलती है तुम एक शूरवीर योद्धा के पुत्र तुम्हारी हंसी तुम्हारे चेहरे से अलग नहीं होनी चाहिए तुम्हारा मुस्कुरा रहना ही तुम्हारे और तुम्हारे राज्य के लिए उचित है और यह तुम्हारे राज्य को एक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है और तुम्हारा मुस्कुराते रहना तुम्हारे लिए भी अच्छा है यह तुम्हारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है गुरु अपने उस शिष्य को आखिरी सीख देते हुए कहते हैं|


हमेशा अपने जीवन में दान पुण्य करते रहना तो इससे कभी पीछे मत हटना तुमने देखा होगा कि राजा महाराजा ऐसे होते हैं क्यों दान के समय पर उनसे जो मांगा जाए वह सब देने के लिए तैयार हो जाते फिर चाहे आप उनका राज पाठ ही क्यों ना मांग ले दान पुण्य करना अत्यधिक जरूरी है और ऐसा नहीं कि दान में तुम केवल धन ही दो तुम किसी की मदद भी कर सकते हो इसलिए दान पुण्य के समय पर तुम्हें कभी पीछे नहीं हटना चाहिए जब हम दान करते हैं | तो हमारे मन में एक अजीब सी खुशी महसूस होती है हमारा मन बहुत खुश होता है दूसरी बात जो तुम्हें हमेशा ध्यान रखनी है कि तुम्हें हमेशा स्वादिष्ट और स्वस्थ खाना ही खाना है |


ऐसी चीजें कभी मत खाना जो तुम्हारे शरीर को नुकसान पहुंचाती है | हमेशा तुम स्वस्थ खाना ही खाना जैसे हरी सब्जियां फल दूध दही तुम भोजन अपने शरीर के लिए करना ना कि अपनी जीभ के लिए ना ही स्वाद के लिए अगली बात वह गुरु अपने शिष्य से कहते हैं कि जब भी तुम्हारे मन में कोई चिंता हो कोई ऐसा विषय हो जिसे लेकर तुम बहुत चिंतित हो तो ऐसी बात अपने घर परिवार में अवश्य बताना | यदि तुम इन बातों को अपने मन में रखते हो तो यह बातें तुम्हें मन ही मन कमजोर बनाती चली जाएगी यह चिंता तुम्हें अंदर ही अंदर खाती चली जाएगी और तुम खोखले होते चले जाओगे और याद रखना जब हमारा मन बीमार पड़ता है तो वह हमारे शरीर को भी बीमार कर देता है |


इसलिए कोई भी बात कभी छुपाकर मत रखना | हर बात अपने घर वालों और अपने परिवार को अवश्य बताना आगे वह गुरु अपने उस शिष्य से कहते हैं | हमेशा सकारात्मक सोच रखना कभी भी नकारात्मक विचार अपने दिमाग में आने मत देना | सबके जीवन में उतार और चढ़ाव तो आते ही रहते हैं | सभी के जीवन में सुख और दुख लगा ही रहता है कभी अच्छा तो कभी बुरा जीवन इसी प्रकार चलता है | तुम्हारे जीवन में समय चाहे कैसा भी क्यों ना आए लेकिन तुम्हें हमेशा एक सकारात्मक सोच ही अपनानी है | जिससे तुम अपने जीवन में आने वाली कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना हंसते हुए और बड़ी ही सरलता से उसका सामना कर सको और जीवन में आगे बढ़ पाओगे |


अगली बात जो तुम्हें याद रख चाहिए क्यों तुम्हें हमेशा मुस्कुराते रहना है क्योंकि एक योद्धा यदि चिंतित हो तो उसका राज्य भी चिंतित हो सकता है और तुम्हारी मुस्कुराहट से ही सबको ताकत मिलती है | तुम एक शूरवीर योद्धा के पुत्र तुम्हारी हंसी तुम्हारे चेहरे से अलग नहीं होनी चाहिए | तुम्हारा मुस्कुराते रहना ही तुम्हारे और तुम्हारे राज्य के लिए उचित है और यह तुम्हारे राज्य को एक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है और तुम्हारा मुस्कुराते रहना तुमारे लिए भी अच्छा है यह तुम्हारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है | गुरु अपने उस शिष्य को आखिरी सीख देते हुए कहते हैं |


हमेशा अपने जीवन में दान पुण्य करते रहना|तो इससे कभी पीछे मत हटना तुमने देखा होगा | कि राजा महाराजा ऐसे होते हैं क्यों दान के समय पर उनसे जो मांगा जाए वह सब देने के लिए तैयार हो जाते फिर चाहे ! आप उनका राज पाठ ही क्यों ना मांग ले दान पुण्य करना अत्यधिक जरूरी है और ऐसा नहीं कि दान में तुम केवल धन ही दो तुम किसी की मदद भी कर सकते हो | इसलिए दान पुण्य के समय पर तुम्हें कभी पीछे नहीं हटना चाहिए जब हम दान करते हैं |


तो हमारे मन में एक अजीब सी खुशी महसूस होती है हमारा मन बहुत खुश होता है | हम बहुत अच्छा महसूस करते हैं और यह खुशी हमारे शरीर को और भी ज्यादा मजबूत बनाती है | लोगों में यह गलत धारणा है कि जब हम दान करते हैं तो हमारी संपत्ति घटती है | लेकिन ऐसा नहीं है जब हम दान करते हैं | तो इससे हमारी संपत्ति घटती नहीं बल्कि बढ़ती चली जाती है | इसलिए दान करने से कभी पीछे मत हटना जब भी तुम्हें मौका मिले जैसा भी तुम्हें मौका मिले तुम दान अवश्य करना | इतना कहकर गुरुवर शांत हो गए और शिष्य उन गुरु के चरणों में प्रणाम करके उनसे कहता है |


हे गुरु आपने जो मुझे शिक्षा दी है यह शिक्षा मैं अपने जीवन भर याद रखूंगा इसे मैं कभी भुला नहीं पाऊंगा | हे गुरु अब मुझे आज दीजिए मैं अपने घर जाना चाहता अपने पिता की तरह एक पराक्रमी योद्धा बनना चाहता हूं | इतना कहकर वह शांत हो जाता है और गुरु उसे आशीर्वाद देते हुए | उस शिष्य को उसके घर जाने की आज्ञा प्रदान करते हैं |


दोस्तों उम्मीद है कि आपने आज की इस कहानी से जरूर कुछ ना कुछ सीखा होगा | तो आज की इस कहानी में आपने जो कुछ भी सीखा है | आप उसे अपने जीवन में जरूर उतारोगे क्योंकि यह बातें आपका जीवन बदल कर रख देंगी और अगर आपको यह कहानी थोड़ी सी भी अच्छी लगी हो तो इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें | दोस्तों अगर कहानी अच्छी लगी तो Comments जरूर करें ! नमो बुद्धाय !


निष्कर्ष:


गौतम बुद्ध की कहानी के अनुसार, कुछ विशेष चीजें हैं जो शरीर को ताकत और ऊर्जा से भर सकती हैं। ये चीजें न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाती हैं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को भी संवर्धित करती हैं। इनमें सही आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, ध्यान और सकारात्मक सोच शामिल हैं। इन पाँच मूल तत्वों को अपनाकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में संपूर्णता और ऊर्जा का अनुभव कर सकता है।

FAQs:

1. गौतम बुद्ध की कहानी में शरीर को ताकत और ऊर्जा देने वाली मुख्य चीजें क्या हैं?

मुख्य चीजें हैं सही आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, ध्यान और सकारात्मक सोच।

2. इन चीजों को अपनाने से क्या लाभ होते हैं?

इनसे शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

3. क्या ये चीजें सभी उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त हैं?

हाँ, ये चीजें सभी उम्र के लोगों के लिए उपयोगी हैं।

4. ध्यान का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?

ध्यान से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है, जिससे शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।

5. सकारात्मक सोच का जीवनशैली पर क्या प्रभाव पड़ता है?

सकारात्मक सोच से जीवनशैली में सकारात्मकता बढ़ती है, जिससे आत्मविश्वास और खुशी में वृद्धि होती है।

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