लक्ष्य हमेशा आंखों के सामने रखो: अपने लक्ष्य तक पहुंचने में बाधा बनने वाली पांच चीजें |

लक्ष्य हमेशा आंखों के सामने रखो: अपने लक्ष्य तक पहुंचने में बाधा बनने वाली पांच चीजें |

लक्ष्य हमेशा आंखों के सामने रखो: अपने लक्ष्य तक पहुंचने में बाधा बनने वाली पांच चीजें |


तो दोस्तों चलते है एक कहानी की और दोस्तों एक बार की बात है महात्मा बुद्ध एक गांव से होकर गुजर रहे थे | उस गांव में एक तालाब था महात्मा बुद्ध और उनके सभी शिष्य तालाब के पास आकर रुक गए | तभी वहां पर एक लड़का अपनी मां के साथ पानी भरने आया | उस लड़के की नजर महात्मा बुद्ध पर पड़ी वह महात्मा बुद्ध को पहले से ही जानता था | वह जानता था कि महात्मा बुद्ध बहुत ज्ञानी है और वह सभी के प्रश्नों का उत्तर देते है | वह तुरंत ही महात्मा बुद्ध के पास पहुंचा उसने महात्मा बु को प्रणाम किया और कहा हे बुद्ध मैं अपने जीवन में कुछ बहुत बड़ा करना चाहता हूं | लेकिन जब भी मैं कुछ करना चाहता हूं तो वह मुझसे संपूर्ण तरह से नहीं हो पाता | मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आता कि आखिर में क्या गलती कर रहा हूं |


इसलिए मैं आज आपसे यही प्रश्न पूछने आया कि लक्ष्य को पाने के लिए ऐसी कौन सी कठिनाइयां है | जो हमें पार करनी होगी महात्मा बुद्ध उस लड़के को देखकर मुस्कुराने लगे और उस लड़के से कहते हैं | जब तक तुम अपने लक्ष्य की ओर कदम नहीं बढ़ाओ गे तब तक सफलता से जुड़ा हुआ हर एक प्रश्न हर एक उत्तर अधूरा है | महात्मा बुद्ध इतना कहकर अपने सभी शिष्यों के साथ वहां से आगे की ओर चल पड़े | वह लड़का भी अपनी मां के साथ वापस अपने घर लौट आया | अगले दिन जब वह लड़का अपनी मां के साथ वापस उस तालाब पर पानी भरने आया | तो उसने देखा कि तालाब में जो कमल की केवल कलिया थी | आज वह पूरी तरह से खिल चुकी है और पूरे के पूरे तालाब में केवल कमल के फूल ही नजर आ रहे है | उस लड़के की मां को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था | उस पर उसकी मां कहती है बे मौसम इतने सारे फूल एक साथ खिलना | ऐसी घटना तो मैंने आज तक नहीं सुनी ऐसा अवश्य ही महात्मा बुद्ध के यहां पर आने के कारण हुआ है अर्थात यह उनका ही प्रभाव है |


यह सुन वो लड़का सोच में पड़ गया उसने तुरंत ही तालाब से एक कमल का फूल तोड़ा और मन ही मन यह सोचने लगा यदि यह महात्मा बुद्ध के प्रभाव के कारण हुआ है | तो मुझे अवश्य ही महात्मा बुद्ध से मिलना चाहिए | शायद हो सकता है कि वह मुझे कुछ प्रेरणा देना चाहते हैं | ऐसा सोचते सोचते उस लड़के ने यह भी मन बना लिया कि वह महात्मा बुद्ध से अवश्य मिलेगा और साथ ही उसके मन में महात्मा बुद्ध की वह आवाज गूंज रही थी कि जब तक तुम लक्ष्य की ओर कदम ही नहीं बढ़ाओगे | तब तक सफलता से जुड़ा हर प्रश्न हर उत्तर अधूरा है |


तभी उस लड़के ने वह कमल का फूल एक छोटे से मटके में रख लिया और उसने मन ही मन यह मन बना लिया कि वह महात्मा बुद्ध से मिलकर रहेगा और उसके मन में जो भी प्रश्न है वह उनसे उनके उत्तर जानकर रहेगा | उस लड़के ने तुरंत ही अपनी मां से कहा मां मैं महात्मा बुद्ध से मिलने जा रहा हूं | वह अब तक बहुत आगे नहीं निकले होंगे | यदि मैं जल्दी-जल्दी चलूंगा तो एक दिन में उन तक पहुंच ही जाऊंगा और फिर एक दो दिन में मिलकर मैं वापस घर लौट आऊंगा | उसकी मां ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन वो लड़का नहीं माना | वह तुरंत सफर की ओर निकल पड़ा वह मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा था | जल्दी-जल्दी चलते हुए उसने बहुत कम समय में अपना गांव पार कर लिया |


लेकिन अब इसी कारण वह थकने भी लगा था और उसकी रफ्तार भी धीमी पड़ रही थी | उस लड़के का जोश भी अब खत्म होता जा रहा था | धीरे-धीरे चलते-चलते वह जंगल के रास्ते आ पहुंचा और जंगल को देखकर उसके मन में एक डर उत्पन्न हुआ | उसने सोचा कि मैंने आज तक कभी जंगल पार नहीं कि है और इस जंगल में तो कई जंगली जानवर भी हैं | यदि मैं रास्ता भटक गया तो मैं महात्मा बुद्ध तक कभी नहीं पहुंच पाऊंगा और यदि मैं किसी गलत रास्ते पर चला गया | तो मुझे कम से कम दो दिन और लगेंगे | महात्मा बुद्ध तक पहुंचने के लिए और यदि वह मुझसे बहुत आगे निकल गए | तो मुझे बाकी रास्ते भी पता नहीं चल पाएंगे और फिर मैं उनसे कभी नहीं मिल पाऊंगा | वह लड़का इसी सोच विचार में पड़ा हुआ था तभी उसने देखा कि उसी रास्ते से एक घुट सवार आ रहा था | लड़के ने उस घुट सवार से कहा भाई मुझे जंगल पार करवा दीजिए मुझे महात्मा बुद्ध से मिलना है |


मुझे यह कमल उन्हें देना है क्या आप मुझे जंगल पार करवा सकते हैं | इस पर सवाल कहता है बेटा देखो मैं तुम्हें ले तो नहीं जा सकता लेकिन मैं तुम्हारी मदद जरूर कर सकता हूं | यदि तुम चाहो तो यह कमल वाला मटका मुझे दे दो मैं इसे महात्मा बुद्ध तक पहुंचा दूंगा | उस घुट सवार की यह बात सुनकर वह लड़का एक बार फिर से सो विचार में पड़ गया और सोचने लगा | यदि मैं पैदल जाऊंगा तो मुझे बहुत समय लग जाएगा और पता नहीं मैं महात्मा बुद्ध तक पहुंच भी पाऊंगा या नहीं अगर मैं यह कमल वाला मटका घुट सवार को दे देता हूं | तो यह घुट सवार घोड़े से बहुत जल्दी महात्मा बुद्ध तक पहुंच जाएगा और उन्हें यह कमल जरूर दे देगा | इससे मेरा काम भी आसान हो जाएगा और मेरा काम बहुत जल्द पूरा भी हो जाएगा | काफी कुछ सोच विचार करने के बाद उसने तय किया कि वह यह कमल का फूल उस घुट सवार को दे देगा | यह सोचकर उस मटके को उस घुट सवार को थमाने ही वाला था कि तभी उसे याद आया कि इस कमल के पीछे उसका क्या उद्देश्य है | वह किस मकसद से इस कमल को महात्मा बुद्ध के पास ले जा रहा है |


तभी उस लड़के के मन में एक और विचार उत्पन्न हुआ यदि मैं इस कमाल को लेकर महात्मा बुद्ध तक नहीं पहुंचा | तो फिर मेरा जो प्रश्न है मैं उनके उत्तर कैसे जान पाऊंगा और हो सकता है कि मुझे मेरे जीवन में बस यह एक ही मौका मिला है | जिसमें मैं महात्मा बुद्ध से मिल सकता हूं और अपने सभी प्रश्नों के उत्तर पा सकता हूं हो सकता है कि दोबारा मुझे यह अवसर ना मिले | इसलिए मैं यह मटका नहीं दूंगा मैं इसे स्वयं ही महात्मा बुद्ध तक पहुंचाने जाऊंगा काफी कुछ सोच विचार करने के बाद उसने घुट सवार से कहा देखिए यह मटका तो मैं खुद ही उन्न तक ले जाना चाहता हूं | क्योंकि मेरा उनसे मिलना बहुत जरूरी है मेरे मन में कई प्रश्न है जो मैं उनसे जानना चाहता हूं | इसीलिए यह फूल मैं ही उन्हें दूंगा इसलिए कृपया करके मुझे जंगल से बाहर निकलने का रास्ता बता दीजिए मैं स्वयं ही चला जाऊंगा | इस पर उस घुड़सवार ने उस लड़के को जंगल से बाहर जाने का रास्ता बता दिया और उस मार्ग पर आगे की ओर बढ़ चला | वह जल्दी-जल्दी मार्ग में आगे बढ़ रहा था और देखते ही देखते शाम का वक्त भी होने आया था |


तभी उस लड़के के मन में एक और विचार आया और वह यह सोचने लगा यदि शाम के वक्त मैं इस जंगल में भटक गया तो मेरा क्या होगा | मैं महात्मा बुद्ध तक कैसे पहुंच पाऊंगा और अगर मैं उनसे नहीं मिल पाया तो मेरी यात्रा बेकार हो जाएगी | इससे तो अच्छा होता कि मैं उस घुड़सवार को ही यह मटका दे देता | वह उसे महात्मा बुद्ध तक अवश्य पहुंचा देता मुझे तो घर लौट जाना चाहिए था | यही मेरे लिए बेहतर होता इस प्रकार उस लड़के के मन में तरह-तरह के विचार उत्पन्न हो रहे थे | ऐसा होगा तो क्या होगा वैसा हो जाएगा तो क्या होगा यदि मैं भटक गया तो क्या होगा | तभी उस लड़के ने उस कमल की ओर देखा उस कमल से ही उसे महात्मा बुद्ध की याद आई महात्मा बुद्ध के चेहरे पर वह असीम शांति थी | उसे महात्मा बुद्ध की वह मुस्कान याद आई तभी उसके मन में एक और विचार उत्पन्न हुआ |


जिनके आने से हमारे तालाब में इस प्रकार अनेको को फूल खिल गए जिसके साथ होने से हमारे मन को प्रेरणा मिलती है | जिनके चेहरे पर वह असीम शांति है जिनसे मिलकर मेरा मन शांत हो जाता है | यदि मैं उनसे मिल पाऊं तो मुझे कितना कुछ सीखने को मिलेगा | ऐसा सोचते ही उसके मन में एक बार फिर से महात्मा बुद्ध से मिलने की प्रेरणा जाग उठी और वह निश्चिंत होकर अपने मार्ग में आगे की ओर बढ़ता चला जा रहा था | काफी दूर आगे चलने के बाद जंगल खत्म होने लगा |


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तब उसने महसूस किया कि जब-जब वह अपनी इस यात्रा का उद्देश्य याद करता है | जब यह याद करता है कि वह महात्मा बुद्ध से क्यों मिलना चाहता है | तब तक उसके राह की मुश्किलें कम होने लगती हैं और यही वास्तविकता है | यही हम सभी के साथ होता है फिर चाहे वह कोई छात्र हो या फिर व्यापारी जबजब इंसान खुद पर शक करता है | खुद पर संदेह करता है तब तक वह रुकावटें बड़ा रूप ले लेती है और जब हम अपने लक्ष्य को याद रखते हैं अर्थात अपना उद्देश्य याद रखते हैं | तब तक वह रुकावटें हमारे सामने छोटी पड़ जाती है और हम उसे आसानी से पार करके अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ चलते | इस पर उस लड़के ने यह महसूस किया कि उसे अपना लक्ष्य याद रखना है | उसे अपना उद्देश्य याद रखना है और छोटे-छोटे कदमों से आगे की ओर बढ़ते जाना है | उसके बाद उस लड़के ने सारी चिंताएं छोड़ दी | वह केवल सफर पर आगे की ओर बढ़ता जा रहा था | लेकिन इस बीच वह चलते-चलते काफी थक चुका था और जैसे ही उसने जंगल पार किया तभी जंगल के ऊपर उसे एक छोटी सी कुटियां नजर आई वहां पर एक सुंदर स्त्री रहती थी |


लड़का काफी थक चुका था और उसे बहुत जोरों की प्यास लगी थी | वो लड़का उस कुटिया में गया गया वहां पर उस स्त्री से उसने पानी मांगा इस बार उस स्त्री ने उस लड़के को पानी पिलाया | तभी वह स्त्री उस लड़के से कहती है आखिर तुम महात्मा बुद्ध से क्यों मिलना चाहते हो | इस पर वह लड़का कहता है मेरे मन में कुछ प्रश्न है और मैं उन प्रश्नों का उत्तर जानना चाहता हूं और मेरे पास केवल यह एक ही अवसर है | इसलिए मुझे उनसे मिलना ही है वह लड़का उसी तरह से अपनी बातें कर ही रहा था | उधर दूसरी तरफ उस स्त्री के मन में उस लड़के प्रति प्रेम जाग रहा था कि उस लड़के को पसंद करने लगी थी | वह लड़की उस लड़के को रोकना चाहती थी वह उससे कहती है आज की रात तुम यहीं रुक जाओ वैसे भी शाम होने को है और बहुत जल्द रात भी हो जाएगी | ऐसे में तुम कहां जाओगे इससे अच्छा है | आज तुम यहीं पर रुक जाओ आज हमारे बगल में ही शादी है वहां पर नाच गाना होगा खाना पीना होगा बहुत मजा आएगा | इसीलिए आज रात तुम यहीं पर रुक जाओ उस स्त्री के मुख से यह सुनकर वह लड़का यह समझ चुका था कि यह स्त्री मुझे पसंद करती है और वह बहुत सुंदर भी है | उसकी सुंदरता को निहारते हुए वह लड़का मन ही मन यह सोच रहा था कि यदि मैं इस तरह से दोस्ती कर लूं | तो मेरा जीवन तो समझ जाएगा मुझे जीवन का मजा आ जाएगा और वैसे भी आज रात तक तो मैं महात्मा बुद्ध से मिल भी नहीं पाऊंगा | तो क्यों ना मैं यहीं पर रुक जाऊं तभी उस लड़के ने जवाब देते हुए हा मैं कुछ देर में सोच कर बताता हूं |


लड़का इस विषय पर सोच ही रहा था कि तभी उसके मन में एक बार फिर से महात्मा बुद्ध की वह बात याद आ गई और उसे यह एहसास हुआ कि मैं इतनी दूर से यहां पर क्यों आया हूं | उसने मन ही मन खुद से प्रश्न किया क्या मैं यहां पर इतनी दूर इस लड़की से मित्रता करने आया था | नहीं नहीं यह मेरी मित्र नहीं बन सकती क्या भरोसा आज को इसका मन मुझ पर आया है और कल को किसी और पर आ गया तो मैं क्या करूंगा | लड़के ने तुरंत ही उस कम की ओर देखा तभी उसे उसका उद्देश्य याद आ गया और उसने तुरंत ही यह निर्णय लिया कि वह आगे की ओर बढ़ेगा | उसने उस लड़की को साफ-साफ मना कर दिया और अपने मार्ग की ओर आगे बढ़ चला जब वह आगे की ओर जा रहा था | तभी उसे अपने इस निर्णय पर अफसोस हो रहा था | उसे ऐसा लग रहा था यदि उसे महात्मा बुद्ध ना मिले तो उसके हाथ से यह स्त्री भी चली जाएगी | इस बात का उसे बहुत मलाल था लेकिन वह धीरे-धीरे मार्ग में आगे बढ़ता गया कुछ दूर आगे जाने के बाद जब उसका मन शांत हुआ | तब उसे इस बात का एहसास हुआ कि यदि वह उस स्त्री के पास रुक जाता तो वह अपने उद्देश्य में कभी सफल नहीं हो पाता और उसकी यह यात्रा बेकार हो जाती उसकी इतनी मेहनत व्यर्थ हो जाती और तब उसे एक और चीज का एहसास हुआ कि जो भी व्यक्ति या फिर वस्तु हमें अपने उद्देश्य से भटकाने का प्रयास करें हमें उससे तुरंत ही दूर हो जाना चाहिए | हमें अपना उद्देश्य याद रखना चाहिए कि हमने यह सफर क्यों शुरू किया था और हम अपनी मंजिल पर क्यों पहुंचना चाहते हैं |


वह लड़का यह सब सोच विचार कर आगे की ओर बढ़ता जा रहा था | रात्रि का वक्त होने वाला था और वह लड़का तेजी से अपने मार्ग में आगे की ओर बढ़ता जा रहा था | तभी उसे मार्ग में एक बुजुर्ग व्यक्ति मिले उसने उस बुजुर्ग व्यक्ति से पूछा बाबा मैं महात्मा बुद्ध से मिलना चाहता हूं और पिछले गांव में मुझे किसी ने बताया कि वह इसी मार्ग से आगे की ओर बड़े थे | क्या आप मुझे बता सकते हैं वह किस तरफ गए हैं | इस पर वह बुजुर्ग व्यक्ति उस लड़के से कहते हैं | बेटा तुमसे कोई गलती हो गई है तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है | यहां से कोई भी अरशी मुनि नहीं गए हैं हो सकता है कि रास्ते में कोई और मोड़ हो जिस पर तुम्हारा ध्यान ना गया हो वह आर्शी मुनि उसी रास्ते से गए होंगे | यह सुन वो लड़का घबरा गया अभी कुछ ही घंटों पहले तो मैंने उस बस्ती को पार किया था | यदि मैं वापस गया तो मैं बहुत पीछे हो जाऊंगा और और अब तो अंधेरा भी होने को है | मेरे पास ना तो कोई रहने का कोई साधन है और ना ही खाने पीने का मेरी तो पूरी यात्रा बेकार हो गई | मुझे तो लग रहा था कि मैं महात्मा बुद्ध से अवश्य मिल लूंगा |


लेकिन अब लगता है कि यह मुमकिन नहीं है मम उनसे नहीं मिल पाऊंगा इस प्रकार के कई विचार और उस लड़के के मन में उमड़ने लगे | वो लड़का खुद पर संदेह करने लगा जैसे ही उसके मन में इस प्रकार के विचार उत्पन्न हुए | मानो उसके पैरों में किसी ने बेड़ियां डाल दी हो | वह बार-बार केवल एक ही बात सोच रहा था कि आखिर वह मुझे क्यों नहीं दिखाई दिया | मैं बार-बार एक ही गलती क्यों करता हूं | मुझसे इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई यह सोचकर वह लड़का सर पकड़कर वहीं पर बैठ गया कुछ देर तक तो उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था | तभी उसे उसकी मां की बात याद आई उसकी मां ने उस लड़के से कहा था बेटा हर गलती में सीख छुपी होती है | जो हमारे जीवन को और भी बेहतर बनाती है | यह बात उसे याद आते ही उसका मन शांत होने लगा और देखते ही देखते उसका मन पूरी तरह से शांत हो चुका था | वह लड़का बार-बार अपने मन में अब एक ही बात दोहरा रहा था कि हर गलती में सीख छुपी हुई होती है | हमें वह और बेहतर बनाने आती है उसने अपनी गलती को स्वीकार किया आर व कहने लगा हां मुझसे गलती हुई है | मैं जल्दी बाजी में बिना सोचे समझे बस मार्ग में आगे की ओर बढ़ता जा रहा था | जैसे-जैसे लोगों ने कहा मैं उसी तरह से आगे की ओर बढ़ता चला गया | उसके गलती स्वीकारते ही उसका मन पूरी तरह से शांत हो गया | उसकी निराशा अब आशा में बदल चुकी थी |


वह एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था तभी उसने देखा कि कुछ जानवर नदी से पानी पी रहे थे | यह सब देखकर उस लड़के को याद आया कि जब वह पहली बार महात्मा बुद्ध से मिला था | तब पानी के पास ही मिला था और महात्मा बुद्ध के साथ उनके कई शिष्य भी हैं | तो उन्हें पानी की तो आवश्यकता जरूर पड़ेगी | इस बात पर उस लड़के को तुरंत यह समझ में आ गया कि महात्मा बुद्ध भी उसी रास्ते से भ्रमण कर रहे होंगे | जिस रास्ते पर पानी होगा तभी उसने सोच विचार कर यह तय किया कि वापस जाने से अच्छा है | क्यों ना मैं नदी के किनारे किनारे आगे की ओर बढ़ता रहा ऐसा सोचते ही उसने तुरंत ही रास्ता बदल दिया और अब वह नदी के रास्ते आगे बढ़ने लगा जैसे-जैसे वह आगे बढ़ता जा रहा था | उसका मन और भी हल्का होता जा रहा था उसका मन और भी शांत होता जा रहा था | तब उसने अनुभव किया कि जब मन बहुत शांत होता है तो हमारा मन बहुत हल्का हो जाता है और जल्दबाजी नहीं करता और ना ही किसी में या खुद में कोई कमी निकालता है | हमारी बुद्धि पहले से बेहतर काम करने लग जाती है |


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तब उस लड़के ने इस बात का भी अनुभव किया कि खुद से शिकायत करना एक बहुत बड़ी कमी है | जो हमें दुख की ओर ले जाती है | चलते-चलते लड़के के मन में विचार आया यदि मैं अपने गांव में ही रुक जाता तो यह सारे अनुभव में कभी नहीं प्राप्त कर पाता | ऐसा सोचते सोचते ते वो मार्ग में आगे की ओर बढ़ रहा था | तभी उसे महात्मा बुद्ध के कुछ शिष्य नजर आए और उन्हें देखकर वो लड़का बहुत प्रसन्न हुआ | वह अपने मार्ग में और भी तेजी से आगे बढ़ने लगा और आखिरकार लगातार दो दिनों का सफर तय करने के बाद वह महात्मा बुद्ध के पास पहुंच ही गया | वह तुरंत ही महात्मा बुद्ध के पास पहुंचा उसने महात्मा बुद्ध को प्रणाम किया और उन्हें वह कमल का फूल भेंट कर दिया | इससे पहले वह लड़का कुछ कहता तभी महात्मा बुद्ध ने कहा बहुत सुंदर यह कमल पूरी तरह से खिल चुका है | दो दिन पहले ही तुमने मुझसे पूछा था कि लक्ष्य को पूरा करने के लिए इंसान को कौन सी कठिनाइयों को पार करना पड़ता है | लेकिन दो दिनों बाद तुमने बहुत सारे अनुभव प्राप्त कर लिए हैं | तुम्हारा यह धैर्य और यह मुस्कान देखकर लगता है कि तुमने इस यात्रा में बहुत कुछ सीखा है | इस पर उस लड़के ने यात्रा में घटित हुई हर एक बात महात्मा बुद्ध को बता दी |


तभी महात्मा बुद्ध ने उस लड़के से कहा तुम्हारे मन में जो भी प्रश्न है मैं उनके जवाब तुम्हें जरूर दूंगा | आगे महात्मा बुद्ध कहते हैं बिना कोशिश के हर चीज जरूरी है जब इंसान किसी लक्ष्य के लिए उस रास्ते पर चलता है | तब सबसे पहले वह अपने अनुभव से ही सीखता है और जब धीरे-धीरे उसका विवेक जागृत होने लगता है | उसकी बुद्धि काम करने लगती है | तब दूसरे के अनुभव और दूसरों की गलतियों से भी सीखने लगता है | जीवन में यदि सफल होना है किसी लक्ष्य को प्राप्त करना है | तो सफलता का रहस्य से सीखने से पहले हमें उस रास्ते पर चलना पड़ता है | महात्मा बुद्ध आगे कहते हैं किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उस रास्ते में हमें तीन दिक्कतें आती हैं | इनका निवारण करने के बाद ही हम अपने लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं | तुमने भी वह तीन बातें सीख ली पहला अपने उद्देश्य को पहचान और उसके प्रति समर्पण अर्पण करो जैसे कि तुम यह कमल का फूल मुंह तक पहुंचाना चाहते थे और तुम्हारा उद्देश्य भी यही था | तुमने यह जान लिया था कि यह फूल मुझ तक पहुंचाने के लिए तुम्हारा क्या उद्देश्य है | जिस कारण तुम्हारे मन के सारे संदेह खत्म हो गए | इसके बाद जब भी तुम फूल को देखते थे तो तुम्हें अपना उद्देश्य से याद आ जाता | आगे महात्मा बुद्ध ने कहा तुमने स्वयं के अनुभव से ही यह जान लिया कि अपनी मंजिल तक किस प्रकार हमें पहुंचना है और सब कुछ तुम्हारे भीतर से ही प्रकट हो रहा है | वह लड़का महात्मा बुद्ध की सारी बातें ध्यानपूर्वक सुनता रहा |


तभी आगे महात्मा बुद्ध कहते हैं तुम्हारे मन में कई प्रकार के डर और संशय थे पता नहीं तुम मुझ तक पहुंच पाओगे या नहीं पता नहीं तुम जंगल पार कर पाओगे या नहीं क्योंकि तुमने आज से पहले कभी जंगल पार नहीं किया था | रास्ते में तुम्हें तरह-तरह की रुकावटें भी झेलनी पड़ी | जब हमारे रास्ते में तरह-तरह की रुकावटें उत्पन्न होती है तब हमारा मन बाधित होने लगता है | हमारा मन भटकने लगता है और हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं | लेकिन जब हम अपना सारा ध्यान रुकावट से हटाकर अपने उद्देश्य पर लगाते हैं | तो सारी रुकावटें खुद बखुदा कि आखिर वह सफल क्यों होना चाहता है क्यों वह कुछ करना चाहता है | इसी कारण उनके सामने परेशानिया भी बहुत ज्यादा होती हैं और वह उन परेशानियों के सामने घुटने टेक देते | लेकिन जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाते हैं | तो वैसे-वैसे चलते जाना आसान हो जाता है और हम अपने लक्ष्य तक पहुंच ही जाते हैं |


आगे महात्मा बुद्ध उस लड़के को तीसरी बात बताते हुए कहते हैं | असली शक्ति इच्छाओं को पूरा करने में नहीं बल्कि उनको मिटाने में कहते हैं कि हम जानते हुए भी सही काम नहीं करते | अगर हम अपने उद्देश्य की ओर आगे बढ़ते हुए आकर्षणों को पीछे रुक जाते तो हमारी यात्रा कभी पूरी नहीं हो सकती | इसलिए जैसे इस यात्रा के दौरान तुमने फूल हमेशा अपने साथ रखा अपने पास रखा वैसे ही उद्देश्य हमेशा सामने रखना चाहिए | हमारा लक्ष्य हमेशा हमारी आंखों के सामने होना चाहिए | इससे हमें निर्णय लेने में आसानी होती है अन्यथा हमारे मन का संदेह हमारी मन की शंका हमें कभी भी सही निर्णय नहीं लेने देती और हमें मन की उलझनों में फंसा कर रख देती है | इसलिए संदेह के प्रति सचेत रहे आगे महात्मा बुद्ध उस लड़के से कहते बेटा खुद पर शक करने की आदत से ज्यादा खतरनाक और कुछ भी नहीं है | क्योंकि जितना नुकसान आपके नकारात्मक विचार आपका कर सकते हैं उतना और कोई नहीं कर सकता | यदि आप खुद पर संदेह करते हैं तो आप अपने प्रयास में विफल ही हो जाओगे | क्योंकि आप अपने प्रयास पूरी ढंग से कर ही नहीं पाओगे आप उससे बचने का प्रयास करोगे | जब तक हम अपनी गलती नहीं पहचानते तब तक हमें वह बात परेशान करती रहती है | वह हमें कमजोर बनाती रहती है हमारे मन में केवल एक ही विचार चलते रहते हैं कि आखिर हमसे यह गलती क्यों हुई | मैं इतना नादान इतना कमजोर कैसे हो सकता हूं और अगर मैं आज इतना कमजोर हूं | मैं आज उस काबिल नहीं हूं तो मैं आगे चलकर क्या कर पाऊंगा |


तो इसलिए अपने आप को यह याद दिलाओ कि हर गलती में सीख छुपी हुई है और उससे सीखकर ही हमें अनुभव मिलता है | उस अनुभव से ही हम अपने लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं | सबसे पहले अपने मन को शांत करो बुद्धि और विवेक का प्रयोग करो और उद्देश्य की तरफ आगे बढ़ते चलो | सिर्फ इसी तरह से आप किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं और बड़े से बड़े लक्ष्य को भी आसानी से हासिल कर सकते हैं | इतना कहकर महात्मा बुद्ध शांत हो गए और उस लड़के को भी महात्मा बुद्ध की सारी बातें अच्छी तरह समझ में आ चुकी थी | उसे महात्मा बुद्ध को प्रणाम किया और और पूरी रात वह उन्हीं के साथ रहा | अगली सुबह वह अपने घर की ओर लौट आए | दोस्तों आपने आज के इस वीडियो से क्या सीखा वह मुझे आपको कमेंट में जरूर बताएगा इसी के साथ मुझे उम्मीद है कि आपको आज की वीडियो जरूर पसंद आएगी तो चलिए फिर मिलते हैं ऐसे ही एक और वीडियो में तब तक के लिए अपना ख्याल रखिए | धन्यवाद !


निष्कर्ष

अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना एक यात्रा है जिसमें अनेक चुनौतियाँ और बाधाएँ आती हैं। यह ब्लॉग उन पांच प्रमुख चीजों पर प्रकाश डालता है जो अक्सर हमारे और हमारे लक्ष्यों के बीच बाधा बन जाती हैं: आत्म-संदेह, समय प्रबंधन की कमी, नकारात्मक सोच, अत्यधिक आलोचना, और लक्ष्य से भटकना। ये सभी चुनौतियाँ दूर की जा सकती हैं यदि हम दृढ़ संकल्पित रहें, सकारात्मक सोच अपनाएं, और समय का सही प्रबंधन करें। इस ब्लॉग के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि किस प्रकार हम इन बाधाओं को पार कर सकते हैं और अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

5 FAQs

1. आत्म-संदेह को कैसे दूर किया जा सकता है? आत्म-संदेह को दूर करने के लिए स्वयं पर विश्वास बढ़ाना जरूरी है। अपनी क्षमताओं को पहचानें, सकारात्मक अफ़र्मेशन्स का उपयोग करें, और छोटी-छोटी सफलताओं का जश्न मनाएं।

2. समय प्रबंधन की कमी को कैसे दूर किया जा सकता है? समय प्रबंधन में सुधार के लिए, प्राथमिकताएँ निर्धारित करें, एक योजना बनाएँ, और विचलित करने वाले कारकों से बचें। समय को बुद्धिमानी से आवंटित करने से लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिलती है।

3. नकारात्मक सोच को कैसे बदला जा सकता है? नकारात्मक सोच को सकारात्मक सोच में बदलने के लिए, अपने विचारों को जानबूझकर सकारात्मक दिशा में मोड़ें, सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताएं, और सकारात्मक प्रेरणादायक सामग्री का अध्ययन करें।

4. अत्यधिक आलोचना से कैसे निपटा जा सकता है? आलोचना से निपटने के लिए, इसे व्यक्तिगत रूप से न लें, इसे विकास के अवसर के रूप में देखें, और जहाँ संभव हो, सकारात्मक परिवर्तन के लिए इसका उपयोग करें।

5. लक्ष्य से भटकने पर क्या किया जाना चाहिए? लक्ष्य से भटकने पर, अपने लक्ष्यों की समीक्षा करें, उन्हें फिर से परिभाषित करें यदि आवश्यक हो, और एक नई योजना के साथ फिर से शुरू करें। स्वयं को क्षमा करें और आगे बढ़ें।

Tags:-

  • लक्ष्य निर्धारण, समय प्रबंधन, आत्म-संदेह, सकारात्मक सोच, आलोचना से निपटना, व्यक्तिगत विकास, मोटिवेशन, आत्म-सुधार