अपने काम में माहिर बनो समय आने पर सब होता है | How to Master Your Work and Achieve Success

 नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का एक और नए कहानी में दोस्तों ध्यान लगाने के बारे में हमने काफी सारी कहानियां पढ़ी हैं हमने काफी सारी बातें पढ़ी हैं | लेकिन उसके बाद भी हम ध्यान नहीं लगा पाते हम किसी काम में मन नहीं लगा पाते आखिर ऐसा क्यों होता है और ऐसी क्या वजह है | जिस कारण जब भी हम कोई कार्य करना शुरू करते हैं तो हमारा मन भटकने लगता है | हमारे मन में तरह-तरह के विचार चलने लगते हैं और हम उस कार्य पर ध्यान ही नहीं गा पाते तो अगर आप भी इस समस्या से जूं रहे हैं | तो आज की जो कहानी है यह आपके लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण होने वाली है तो इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़े | इस कहानी में हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने वाले हैं जिसके माध्यम से आप आप किसी भी कार्य को मन लगाकर कर सकते हैं और आपका ध्यान भी प्रति सेकंड गहरा होता जाएगा |

Apne kam me mahir bano samay aane par sab hota hai

अपने काम में माहिर बनो समय आने पर सब होता है |

दोस्तों एक समय की बात है एक नगर में एक बहुत ही प्रसिद्ध गुरु रहा करते थे | वह बहुत ही विद्वान और बहुत ही ज्ञानी थे | लोग उनके पास अपने समाधान के लिए बहुत दूर-दूर से आया करते थे और उनके आश्रम में उनके कई शिष्य भी उनके साथ रहा करते थे | एक दिन की बात है वह अपने आश्रम में टहल रहे थे कि तभी उन्होंने देखा कि उनका एक शिष्य संस्कृत के कुछ लोगों को एक पन्ने से दूसरे पन्ने पर उतारने का प्रयास कर रहा था |

लेकिन बार-बार गलती होने के कारण उसे वह सारा काम दोबारा शुरू करना पड़ रहा था | कई बार प्रयास करने के बाद आखिरकार वह थक गया और हार मान ली तभी उसकी नजर उन गुरुवर पर पड़ी | जब उस शिष्य ने उन गुरु को देखा तो उन्हें प्रणाम किया और अपनी समस्या बताते हुए वह उन गुरुवर से कहता है हे गुरुवर मैं करीब दो घंटों से नए पन्ने पर उतारने की कोशिश कर रहा हूं |

लेकिन बार-बार ना जाने क्यों मुझसे गलती हो जा रही है ना जाने क्यों बार-बार मेरा मन भटक जा रहा है | मैं हर बार अपने मन को साधने की कोशिश कर रहा हूं | लेकिन बार-बार मुझसे कोई ना कोई गलती हो ही जा रही है और इसी कारण मुझे बार-बार यह काम एक नए सिरे से शुरू करना पड़ रहा है | आखिर ऐसा क्यों हो रहा है | इसका जवाब देते वह गुरुवर अपने उस शिष्य से कहते हैं ऐसा केवल ध्यान की कमी के कारण होता है | क्योंकि एक साधारण इंसान अपने मस्तिष्क की 999 प्र ऊर्जा को यूं ही व्यर्थ कर देता है |

इसी कारण उसका मन किसी भी कार्य में नहीं लग पाता और यही वजह है कि उनसे बार-बार गलतियां होती रह और वह चाहकर भी उन गलतियों को सुधार नहीं पाते और वहीं पर एक सधा हुआ मन इन कार्यों को बड़ी सरलता और सहजता से कर लेता है और इसके पीछे भी कई कारण है | तभी वह शिष्य उन गुरुवर से कहता है कौन से कारण है गुरुवर तभी व गुरुवर अपने उस शिष्य से पहला कारण बताते हुए कहते हैं | भंते आप लिखते वक्त जरूर किसी और घटना के बारे में सोच रहे हो |

इस पर व शिष्य हां में सर हिलाते हुए कहता है जी गुरुवर आपने बिल्कुल सही कहा आज सभी शिष्यों की छुट्टी है और सभी अपने-अपने कामों से बाहर गए हैं लेकिन मुझे यह काम मिला है | और मुझे इस काम को पूरा करना है शायद यही कारण है कि मैं ठीक से मन नहीं लगा पा रहा | तभी वह युवा शिष्य उन गुरुवर से कहता है हे गुरुवर यदि हमारा मन कहीं ना लगे और हम किसी भी कार्य को सही ढंग से ना कर पाए | तो ऐसी स्थिति में हम अपने ध्यान को कैसे बढ़ा सकते हैं | इसका जवाब देते हुए वह गुरुवर अपने उस युवा शिष्य से कहते हैं | भंते मैं तुम्हें कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहा हूं |


जिन्हें यदि तुम ध्यान में रखोगे तो तुम अवश्य ही अपनी ध्यान शक्ति को बढ़ा पाओगे और तुम किसी भी कार्य में गहराई से मन लगा पाओगे आगे गुरुवर सबसे पहला तरीका बताते हुए कहते हैं | भंते जब भी तुम्हारा मन किसी कार्य में ना लगे तो सबसे पहले सांसें लो और गहरी सांसें छोड़ो ऐसा करीब पांच बार करो और अपने मन को काम और अन्य चीजों से हटाकर

केवल सांस पर ले आओ आगे गुरुवर अगला तरीका बताते हुए कहते हैं | भंते जब भी तुम कोई कार्य कर रहे हो | तो अपनी सारी इंद्रियों को एक काम से जोड़ने का प्रयास करो जैसे कि अब भी तुम लिखने का प्रयास कर रहे थे |


तो लिखते वक्त जब तुम कलम अपने हाथों में पकड़ते हो तो उंगलियों के बीच में उस कलम का स्पर्श महसूस करो अपनी आंखों से शब्दों को बनते हुए देखो और लिखते समय कलम और कागज के घर्षण से जो आवाज उत्पन्न हो रही है | उस पर ध्यान केंद्रित करो | उसे ध्यान से सुनो या फिर तुम लिखते समय शब्दों का उच्चारण अपने मन के भीतर गूंजता हुआ महसूस करो और अब अपनी नाक से उस स्याही की गंध को महसूस करो | इससे तुम्हारी सारी इंद्रियां एकजुट हो जाएंगी और एक ही काम से जुड़ जाएंगी आगे वह गुरुवर कहते हैं |


अपने काम के साथ एकजुट हो जाओ उससे जुड़ जाओ और अपनी इंद्रियों को अपने काम के साथ जोड़ने के बाद तुम्हारा ध्यान अत्यधिक गहरा हो जाएगा | इसका अर्थ यह हुआ कि तुम काम के साथ एक हो चुके हो यानी कि तुम काम में पूरी तरह से खो चुके हो और जब तुम इस प्रकार कोई भी कार्य करोगे | तो तुम्हें समय का पता भी नहीं चलेगा और तुम्हारे कार्य में कोई भी गलती भी नहीं होगी | लेकिन मेरी एक बात और याद रखना यदि बीच-बीच में तुम्हारा मन भटकने लगे | तुम्हारे मन में तरह-तरह के विचार उठने लगे और तुम्हारा मन यहां वहां भागने लगे | तो डरना मत तुम दोबारा से निश्चय करना और दोबारा से ध्यान लगाने का प्रयास करना |


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देखते ही देखते तुम इस अभ्यास में निपुण हो जाओगे और तुम्हारा ध्यान अत्यधिक गहरा होता चला जाएगा | उस शिष्य ने उन गुरुवर की सारी बातें ध्यानपूर्वक सुनी और उसके बाद उसने ऐसा ही किया और देखते ही देखते | वह अपने कार्य में इतना खो गया कि जहां-जहां वह गलतियां कर रहा था | वहां पर अब उससे कोई भी गलतियां नहीं हो रही थी और तो और उसने अपना सारा कार्य एक बार में ही पूरा कर लिया और ऐसा इसलिए हो पाया | क्योंकि हमारा सारा ध्यान हमारी इंद्रियों में बटा होता है और इसलिए हमें अपनी इंद्रियों को एक कार्य पर लगाना बहुत आवश्यक है | क्योंकि यदि हमारा ध्यान इन इंद्रियों में बटा रहेगा | तो हमारा मन भटकता रहेगा जहां-जहां भी हमारी इंद्रियां भागी वहां वहां हमारा मन भी भागेगा लेकिन वहीं पर यदि आपने अपनी सारी इंद्रियों को केवल एक ही कार्य पर लगा दिया |

तो आपका मन भटकना बंद हो जाएगा और इस समय आप बहुत ही अत्यधिक गहरे ध्यान में पहुंच जाएंगे | किंतु साधारण मन इसे ज्यादा देर तक साध नहीं सकता | लेकिन इस प्रकार बार-बार और निरंतर अभ्यास करने से मन ध्यान को साधना सीख जाता है और आपका ध्यान अत्यधिक गहरा होने लगता है और आपको उस कार्य में रुचि भी आने लगती है और जब भी आप उस कार्य में पूरी तरह से खो जाते हैं | तो आपको समय का भी पता नहीं लगता और आपका कार्य भी अच्छी तरह से और सफलता पूर्वक हो जाता है | वह गुरु अपने शिष्य को यह सारी बातें बताकर ध्यान में लीन हो गए | लेकिन तभी वहां पर एक युवक आया और उस युवक ने उन गुरुवर को प्रणाम किया |

तभी उन गुरुवर ने अपनी आंखें खोली और इस पर वह युवक कहता है हे गुरुवर मैं आपके पास बहुत दूर से आया हूं | मैंने आपके बारे में तरह-तरह की बातें सुनी है मैंने सुना है कि आप सभी की समस्याओं का समाधान करते हैं | मेरी भी एक समस्या है कृपया करके मेरा मार्ग दर्शन करें इस पर व गुरुवर उस युवक से कहते हैं | बोलो आखिर तुम्हारी क्या समस्या है वह युवक अपनी समस्या बताते हुए | उन गुरु से कहता है हे गुरुवर मैं बहुत लंबे समय से तैयारी कर रहा हूं | मैंने कई तरह के सरकारी परीक्षाएं भी दी हैं |

लेकिन मैं किसी में भी उत्तीर्ण नहीं हो पाया मुझे यह पता ही नहीं चल पा रहा कि आखिर मुझसे गलती कहां हो रही है | आखिर मुझ में क्या कमी है उस युवक का यह प्रश्न सुनकर वह गुरुवर मुस्कुराने लगे और उस युवक से कहते हैं | भंते क्या तुम सच में अपनी परीक्षा में सफल होना चाहते हो | इसका जवाब देते हुए वह युवक कहता है हां गुरुवर मैं अपनी परीक्षा में सफल होना चाहता हूं | इसीलिए तो मैं आपके पास आया हूं कृपया करके मेरा मार्गदर्शन करें तभी वह गुरुवर अपने स्थान से उठे और उस युवक का हाथ पकड़ कर के एक कुएं पर ले गए | कुएं के पास पहुंचकर उन गुरुवर ने उस युवक के हाथ में एक घड़ा थमा दिया और उस युवक से कहा इस घड़े में पानी भरकर वापस आश्रम में ले | आओ इतना कहकर गुरुवर वापस आश्रम लौट गए |

लेकिन वह युवक वहीं खड़ा-खड़ा यह सोच रहा था भला इस घड़े में पानी भरने से मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर कैसे मिलेगा आखिर मुझे यह कैसे पता चलेगा कि मैं परीक्षा में कैसे पास हो सकता हूं | लेकिन उस युवक के पास और कोई विकल्प भी नहीं था | इसलिए जैसा कि उसे उन गुरुवर ने कहा था कुएं से पानी खींचा और मटके में पानी भर लिया | लेकिन यह क्या मटके में तो कई सारे बारीक छेद है जिनसे पानी धीरे-धीरे रिस रहा है वह युवक मन ही मन यह सोचने लगा | इस घड़े में तो छेद है मैं इसे आश्रम में कैसे ले जाऊंगा तभी उसने सोचा यह छेद तो बहुत छोटे हैं | यदि मैं इसे जल्दी-जल्दी ले जाऊं तो मैं आश्रम तक जल्दी पहुंच जाऊंगा और इसमें से पानी भी ज्यादा नहीं गिरेगा |

यह सोचकर उस युवक ने वह घड़ा उठाया और दौड़ता हुआ वह जल्दी-जल्दी उन गुरुवर के पास पहुंचा | लेकिन जब तक वह वहां आश्रम पहुंचता वह पूरी तरह से भीग चुका था और मटके में पानी केवल नाम मात्र के लिए ही बचा था | इसे देखकर वह गुरुवर मुस्कुराने लगे और उस युवक से कहते हैं | मन का भटकाव बहुत बड़ी बीमारी है और तुम्हारे साथ भी यही हो रहा है | तुम्हारे मन में विभिन्न प्रकार के विचार हैं अर्थात तुम एक समय में कई सारे विचार सोच रहे हो | जिस कारण लगातार तुम्हारी मानसिक ऊर्जा व्यर्थ हो रही है और इसी लिए मेहनत करते हुए भी तुम कोई परिणाम प्राप्त नहीं कर पा रहे हो जैसा कि उस मटके में कई सारे बारीक छेद थे और तुमने सोचा कि तुम उसे लेकर जल्दी जल्द आश्रम पहुंच जाओगे जो तुम्हारा लक्ष्य था |

लेकिन तुमने देखा कि वह सारा पानी धीरे-धीरे करके उस मटके से गिरता चला गया और अंत तक इस मटके में केवल नाम मात्र पानी ही बचा है | इसलिए अपने मन को भटकने से रोको क्योंकि ध्यान के बिना कोई भी कार्य पूरा नहीं किया जा सकता है | इस पर कुछ लोग जरूर कहेंगे कि कुछ काम केवल शारीरिक शक्ति से ही होते हैं | लेकिन याद रखें कि शरीर भी मन के आदेश पर ही चलता है | इसलिए सारे कार्य मानसिक शक्ति से ही संभव हो पाते हैं | यदि कोई लकड़हारा लकड़ी काटते समय ध्यान ना रखे तो वह एक जगह पर कुल्हाड़ी नहीं चला सकता और हो सकता है कि वह खुद को चोट भी पहुंचा ले इसलिए जानकारी और हर कार्य का मूल तत्व है | ध्यान और यदि तुम अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हो |

इस परीक्षा में सफल होना चाहते हो तो तुम्हें एक जगह तो ध्यान लगाना सीखना ही होगा क्योंकि तुम जैसी आदत डालोगे वैसा ही तुम्हारा मन बनता चला जाएगा | इसलिए जब भी तुम छोटे से छोटा कार्य भी करो तो उसे पूरा मन लगाकर करो | ऐसा करने से हमारे मन का स्वभाव बदलने लगता है और हम किसी भी कार्य में मन लगाने लगते हैं और यदि एक बार तुमने इसमें निपुणता हासिल कर ली | तो तुम्हें सफलता अवश्य मिलेगी तभी वह युवक उन गुरुवर से कहता है किंतु गुरुवर जब भी मैं पढ़ने बैठता हूं तो मन में तरह-तरह के विचार आने लगते हैं और मैं मन के उन विचारों में हटा चला जाता हूं |

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मैं चाहकर भी अपने मन को रोक नहीं पाता ऐसी स्थिति में मैं मन के उन विचारों को कैसे छोड़ सकता हूं | इस पर वह गुरुवर मुस्कुराते हुए उस युवक के हाथों में गिलास थमा है और उस गिलास में लबालब पानी भर देते हैं और उस युवक से कहते हैं | यह गिलास जो तुम्हारे हाथ में है इस गिलास में से एक भी बूंद पानी नीचे नहीं गिरना चाहिए | इसे पकड़ कर रखो हो इस पर वह युवक कहता है | लेकिन कब तक इसके जवाब में वह गुरुवर उस युवक से कहते हैं |

जब तक यह गिलास मैं तुम्हें नीचे रखने के लिए ना कहूं | उस युवक ने उन गुरुवर की बात मान ली और तत्परता के साथ गिलास लेकर वह खड़ा हो गया | आखिर में उसे भी तो अपनी योग्यता उन गुरुवर को साबित करनी थी शुरू में सब कुछ ठीक चल रहा था | लेकिन कुछ ही देर बाद उसके मन में तरह-तरह के विचार उठने लगे और यह सोचने लगा आखिर यह सब करने से भला क्या होगा मैं चाहे कितनी भी कोशिश कर लूं |

लेकिन मेरा मन मेरे बस में नहीं आने वाला मैं उस पर नियंत्रण नहीं साग सकता | मैं कभी नहीं बदल पाऊंगा यह सोचकर वह लड़का मन ही मन असहज होने लगा | वह लगातार कोशिश करता रहा लेकिन अब उसके शरीर के हिलने से बार-बार पानी गिलास से नीचे गिर रहा था और जमीन पर फैल रहा था यह देख वह गुरुवर उस युवक से कहते हैं | बेटा जब तक तुम्हारा मन शांत था |


तब तक पानी की एक बूंद भी गिलास से नीचे नहीं गिरी लेकिन जैसे ही तुम्हारे मन में तरह-तरह के विचार उठने लगे | तुम्हारा शरीर भी वैसी ही प्रतिक्रिया देने लगा और तुम्हारे शरीर की प्रतिक्रिया देने के कारण गिलास से पानी नीचे गिरने लगा और जमीन पर फैलने लगा आगे और गुरुवर उस युवक को समझाते हुए कहते हैं | बेटा जैसे गर्म लोहे पर हथौड़ी की चोट पड़ती है तो वह एक नया आकार लेता है | ठीक उसी तरह से एक विचार छोटे हथौड़े के ज ऐसा होता है जिसकी चोट से इंसान का शरीर व्यक्तित्व और मन आकार लेने लगता है |


अर्थात तुम्हारा यह मन ग्लास में पानी की तरह है और यह बहुत आसानी से भटक जाता है विचलित हो जाता है यदि तुम चाहते हो कि ग्लास में भरा हुआ यह पानी शांत रहे | तो इसके लिए तुम्हें अपने मन को शांत रखना होगा इसके बाद गुरुवर उस युवक को कहते हैं | अब इस ग्लास को एक बार फिर से पकड़ो और अपना सारा ध्यान अपनी सांस पर ले आओ सांसों को अपने पेट में सीने में आता जाता महसूस करो हाथ में जो दर्द है | जो असहजता हो रही है उसे जाने दो मन में जो विचार आ रहे हैं उन्हें जाने दो |


खुद को यह याद दिलाओ कि तुम मन नहीं हो बल्कि मन को देख रहे हो | तुम सांस भी नहीं हो तुम सांस को देख रहे हो ऐसा याद करने से विचार आकर चले जाएंगे | लेकिन तुम्हें विचलित नहीं कर पाएंगे थोड़ी देर तक वह लड़का यूं ही अभ्यास करता रहा और अब तक पानी के उस गिलास से एक भी बूंद पानी नीचे जमीन पर नहीं गिरी | यह देखकर व गुरुवर मुस्कुराए और उस युवक से कहते हैं बेटा बस अब यही अभ्यास अपने काम और पढ़ाई में करना |


इससे मन धीरे-धीरे शांत होने लगेगा फिर कोई भी बड़ी चीज हासिल करना मन के लिए स्वाभाविक हो जाएगा | इस प्रकार तुम किसी भी बड़े से बड़ा लक्ष्य को हासिल कर सकते हो और यदि तुम किसी परीक्षा में सफल भी होना चाहते हो तो यह भी तुम्हारे लिए बहुत सहजता से हो जाएगा | इतना कहकर वह गुरुवर शांत हो गए और वह युवक भी यह समझ चुका था कि आखिर वह इतने सारी परीक्षाएं देने के बाद भी अब तक सफल क्यों नहीं हो पाया उसने उन गुरुवर को प्रणाम किया और वापस अपने घर लौट आया |


दोस्तों इस कहानी से हमने कई सारी महत्त्वपूर्ण बातें सीखी हैं चलिए एक-एक करके उनके बारे में जानते हैं | सबसे पहले पांचों इंद्रियों को एक काम पर लगाओ गहरी सांसें लो और गहरी सांसें छोड़ो ध्यान सांस पर ले आओ और बाकी सारी चीजें छोड़ दो |


दूसरी बात सभी इंद्रियों को केवल एक काम से जोड़ो कान आंख नाक स्पर्श हर तरह से काम से जुड़ जाओ | उस काम में एक हो जाओ तीसरा यदि ध्यान टूट भी जाए तो इसमें घबराने की कोई जरूरत नहीं एक बार फिर निश्चय करो और दोबारा से प्रयास करो |


दोबारा से अपने काम में पूरी तरह से मग्न होने का प्रयास करो | धीरे-धीरे ध्यान गहरा होता चला जाएगा और आप किसी भी कार्य में पूरी तरह से मग्न हो जाए जाएंगे | जब ऐसा होगा तब आप वह कार्य बड़ी सरलता और सहजता से पूरा कर लेंगे | इस बीच जो समय लगने वाला है उसका भी अंदाजा आपको नहीं लग पाएगा और साथ ही ना तो वह काम आपको बोझ लगेगा और ना ही आप उस काम को करने में उबाऊ महसूस करेंगे | आप उस काम में आनंदित रहेंगे उस काम में आपको मजा आएगा और आप उस कार्य को बड़ी सरलता और सहजता से पूरा कर पाएंगे |


दूसरी बात जो हम इस कहानी से सीखते हैं वह है कि हर जानकारी और हर कर्म का मूल तत्व है ध्यान हमें ऐसा लगता है कि मन के छोटे-मोटे भटकाव से कोई फर्क नहीं पड़ता |


लेकिन बिना ध्यान के कोई भी कार्य संभव है ही नहीं | आपने कभी ना कभी तो यह महसूस किया ही होगा कि जब आप कोई पढ़ाई कर रहे हैं या कोई जरूरी काम कर रहे हैं | उसी दौरान आपके फोन में कोई नोटिफिकेशन आ जाता है | आपका मन तुरंत ही यह कहता है कि चलो एक बार वह नोटिफिकेशन देख लेते हैं | आखिर उसमें ऐसा क्या है और जैसे ही आप वह नोटिफिकेशन देखने जाते हैं | आप आपका पूरा ध्यान उस स्मार्टफोन में लग जाता है और आपका अधिकांश समय उसी में बीत जाता है | लेकिन जब आपको यह एहसास होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है |


तीसरी बात स्वीकार करो और जाने दो | जैसे गर्म लोहे पर हथौड़े की चोट से वह आकार लेता है ठीक उसी प्रकार से मन के विचार भी एक हथौड़े की भांती है और उनकी चोट से इंसान का शरीर व्यक्तित्व और मन आकार लेता है | आपने यह भी जरूर देखा होगा कि जब हमारे मन में सकारात्मक विचार होते हैं | तो हम बहुत ही पॉजिटिव अच्छा और हल्का महसूस करते हैं |


वहीं जब हमारे मन में नकारात्मक विचार होते हैं तो हम बहुत ही भारी परेशान और चिंतित महसूस करते हैं साथ ही हमारा शरीर भी बहुत थका थका महसूस होता है | इसलिए छोटे से छोटे विचारों पर हमें ध्यान देना आवश्यक है इसीलिए हमें जागरूक रहना आवश्यक है और इसीलिए अनचाहे विचारों को अपने मन में ना आने देना | उन्हें जाने दो बल्कि अपने सांसों पर ध्यान रखो खुद को यह याद दिलाओ कि मैं मन नहीं हूं मैं तो मन को देख रहा हूं मैं सांस नहीं हूं मैं तो सांसों को देख रहा हूं |


जो भी विचार आए उसे स्वीकार करो और जाने दो ऐसा करने से मन अनचाहे विचारों से मुक्त हो जाएगा और आप एक पानी में पत्ते की तरह पानी के ऊपर तैरने लगेंगे जिससे आप आनंदित और खुश महसूस कर पाएंगे | आपका शरीर हमेशा तंदुरुस्त और स्फूर्ति महसूस कर पाएगा और ना ही आपका मस्तिष्क किसी भी प्रकार के तनाव और चिंता में डूब पाएगा | इस प्रकार आप सही निर्णय भी ले पाएंगे और आपका ध्यान भी गहरा होता चला जाएगा देखते ही देखते आप हर काम में मन भी लगा पाएंगे और आप हर किसी कार्य में सफलता हासिल कर पाएंगे जैसा भी आप चाहेंगे आप वैसा कर पाएंगे |


दोस्तों आपने आज के इस कहानी से क्या सीखा वह मुझे आप कमेंट में बता सकते हैं | इसी के साथ में उम्मीद है कि आपको आज की कहानी पसंद आई होगी | तो इस कहानी को उस इंसान को शेयर करें | जिससे यह कहानी पढने की जरूरत है | तो चलिए फिर मिलते हैं ऐसी एक और नई कहानी में एक नए मैसेज के साथ तब तक के लिए अपना ख्याल रखें धन्यवाद और नमोह बुद्धाय !


निष्कर्ष


इस विषय पर चर्चा करते हुए, "अपने काम में माहिर बनो, समय आने पर सब होता है", हमने सीखा कि किसी भी क्षेत्र में सिद्धहस्तता प्राप्त करने का महत्व क्या है। यह दर्शाता है कि धैर्य और लगन से किए गए परिश्रम का फल अवश्य मिलता है। यह विषय हमें यह भी सिखाता है कि किसी भी कार्य को करते समय हमें उसमें पूरी तरह से डूब जाना चाहिए और उसके प्रति समर्पित होना चाहिए। यही समर्पण और मेहनत का संयोग हमें उस काम में उत्कृष्टता की ओर ले जाता है। इस विषय का सार यह है कि समय के साथ-साथ अगर हम निरंतर प्रयास करते रहें, तो एक दिन सफलता अवश्य मिलती है।


FAQs


1. किसी काम में माहिर बनने का क्या महत्व है?

किसी काम में माहिर बनना आपको उस क्षेत्र में विशेषज्ञता प्रदान करता है, जिससे आप बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं और अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।


2. धैर्य क्यों जरूरी है जब आप किसी काम में माहिर बनने की कोशिश कर रहे हों?

धैर्य आवश्यक है क्योंकि सिद्धहस्तता प्राप्त करने में समय लगता है और यह आपको चुनौतियों का सामना करने और सीखते रहने की शक्ति प्रदान करता है।


3. किसी काम में समर्पण क्यों जरूरी है?

किसी भी काम में पूर्ण समर्पण से ही आप उस काम के प्रति अपनी पूरी ऊर्जा और ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जो उत्कृष्टता की ओर ले जाता है।


4. परिश्रम का क्या महत्व है जब आप किसी काम में माहिर बनना चाहते हैं?

परिश्रम वह आधार है जिसपर सफलता की इमारत खड़ी होती है। बिना कठिन परिश्रम के, किसी भी क्षेत्र में माहिर बनना लगभग असंभव है।


5. क्या सफलता हमेशा समय के साथ आती है?

हाँ, सफलता अक्सर समय के साथ आती है। निरंतर प्रयास और सुधार से, अंततः आपके परिश्रम का फल मिलता है।


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