अपने काम में माहिर बनो समय आने पर सब होता है |
इस पर व शिष्य हां में सर हिलाते हुए कहता है जी गुरुवर आपने बिल्कुल सही कहा आज सभी शिष्यों की छुट्टी है और सभी अपने-अपने कामों से बाहर गए हैं लेकिन मुझे यह काम मिला है | और मुझे इस काम को पूरा करना है शायद यही कारण है कि मैं ठीक से मन नहीं लगा पा रहा | तभी वह युवा शिष्य उन गुरुवर से कहता है हे गुरुवर यदि हमारा मन कहीं ना लगे और हम किसी भी कार्य को सही ढंग से ना कर पाए | तो ऐसी स्थिति में हम अपने ध्यान को कैसे बढ़ा सकते हैं | इसका जवाब देते हुए वह गुरुवर अपने उस युवा शिष्य से कहते हैं | भंते मैं तुम्हें कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहा हूं |
जिन्हें यदि तुम ध्यान में रखोगे तो तुम अवश्य ही अपनी ध्यान शक्ति को बढ़ा पाओगे और तुम किसी भी कार्य में गहराई से मन लगा पाओगे आगे गुरुवर सबसे पहला तरीका बताते हुए कहते हैं | भंते जब भी तुम्हारा मन किसी कार्य में ना लगे तो सबसे पहले सांसें लो और गहरी सांसें छोड़ो ऐसा करीब पांच बार करो और अपने मन को काम और अन्य चीजों से हटाकर
केवल सांस पर ले आओ आगे गुरुवर अगला तरीका बताते हुए कहते हैं | भंते जब भी तुम कोई कार्य कर रहे हो | तो अपनी सारी इंद्रियों को एक काम से जोड़ने का प्रयास करो जैसे कि अब भी तुम लिखने का प्रयास कर रहे थे |
तो लिखते वक्त जब तुम कलम अपने हाथों में पकड़ते हो तो उंगलियों के बीच में उस कलम का स्पर्श महसूस करो अपनी आंखों से शब्दों को बनते हुए देखो और लिखते समय कलम और कागज के घर्षण से जो आवाज उत्पन्न हो रही है | उस पर ध्यान केंद्रित करो | उसे ध्यान से सुनो या फिर तुम लिखते समय शब्दों का उच्चारण अपने मन के भीतर गूंजता हुआ महसूस करो और अब अपनी नाक से उस स्याही की गंध को महसूस करो | इससे तुम्हारी सारी इंद्रियां एकजुट हो जाएंगी और एक ही काम से जुड़ जाएंगी आगे वह गुरुवर कहते हैं |
अपने काम के साथ एकजुट हो जाओ उससे जुड़ जाओ और अपनी इंद्रियों को अपने काम के साथ जोड़ने के बाद तुम्हारा ध्यान अत्यधिक गहरा हो जाएगा | इसका अर्थ यह हुआ कि तुम काम के साथ एक हो चुके हो यानी कि तुम काम में पूरी तरह से खो चुके हो और जब तुम इस प्रकार कोई भी कार्य करोगे | तो तुम्हें समय का पता भी नहीं चलेगा और तुम्हारे कार्य में कोई भी गलती भी नहीं होगी | लेकिन मेरी एक बात और याद रखना यदि बीच-बीच में तुम्हारा मन भटकने लगे | तुम्हारे मन में तरह-तरह के विचार उठने लगे और तुम्हारा मन यहां वहां भागने लगे | तो डरना मत तुम दोबारा से निश्चय करना और दोबारा से ध्यान लगाने का प्रयास करना |
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लेकिन मेरा मन मेरे बस में नहीं आने वाला मैं उस पर नियंत्रण नहीं साग सकता | मैं कभी नहीं बदल पाऊंगा यह सोचकर वह लड़का मन ही मन असहज होने लगा | वह लगातार कोशिश करता रहा लेकिन अब उसके शरीर के हिलने से बार-बार पानी गिलास से नीचे गिर रहा था और जमीन पर फैल रहा था यह देख वह गुरुवर उस युवक से कहते हैं | बेटा जब तक तुम्हारा मन शांत था |
तब तक पानी की एक बूंद भी गिलास से नीचे नहीं गिरी लेकिन जैसे ही तुम्हारे मन में तरह-तरह के विचार उठने लगे | तुम्हारा शरीर भी वैसी ही प्रतिक्रिया देने लगा और तुम्हारे शरीर की प्रतिक्रिया देने के कारण गिलास से पानी नीचे गिरने लगा और जमीन पर फैलने लगा आगे और गुरुवर उस युवक को समझाते हुए कहते हैं | बेटा जैसे गर्म लोहे पर हथौड़ी की चोट पड़ती है तो वह एक नया आकार लेता है | ठीक उसी तरह से एक विचार छोटे हथौड़े के ज ऐसा होता है जिसकी चोट से इंसान का शरीर व्यक्तित्व और मन आकार लेने लगता है |
अर्थात तुम्हारा यह मन ग्लास में पानी की तरह है और यह बहुत आसानी से भटक जाता है विचलित हो जाता है यदि तुम चाहते हो कि ग्लास में भरा हुआ यह पानी शांत रहे | तो इसके लिए तुम्हें अपने मन को शांत रखना होगा इसके बाद गुरुवर उस युवक को कहते हैं | अब इस ग्लास को एक बार फिर से पकड़ो और अपना सारा ध्यान अपनी सांस पर ले आओ सांसों को अपने पेट में सीने में आता जाता महसूस करो हाथ में जो दर्द है | जो असहजता हो रही है उसे जाने दो मन में जो विचार आ रहे हैं उन्हें जाने दो |
खुद को यह याद दिलाओ कि तुम मन नहीं हो बल्कि मन को देख रहे हो | तुम सांस भी नहीं हो तुम सांस को देख रहे हो ऐसा याद करने से विचार आकर चले जाएंगे | लेकिन तुम्हें विचलित नहीं कर पाएंगे थोड़ी देर तक वह लड़का यूं ही अभ्यास करता रहा और अब तक पानी के उस गिलास से एक भी बूंद पानी नीचे जमीन पर नहीं गिरी | यह देखकर व गुरुवर मुस्कुराए और उस युवक से कहते हैं बेटा बस अब यही अभ्यास अपने काम और पढ़ाई में करना |
इससे मन धीरे-धीरे शांत होने लगेगा फिर कोई भी बड़ी चीज हासिल करना मन के लिए स्वाभाविक हो जाएगा | इस प्रकार तुम किसी भी बड़े से बड़ा लक्ष्य को हासिल कर सकते हो और यदि तुम किसी परीक्षा में सफल भी होना चाहते हो तो यह भी तुम्हारे लिए बहुत सहजता से हो जाएगा | इतना कहकर वह गुरुवर शांत हो गए और वह युवक भी यह समझ चुका था कि आखिर वह इतने सारी परीक्षाएं देने के बाद भी अब तक सफल क्यों नहीं हो पाया उसने उन गुरुवर को प्रणाम किया और वापस अपने घर लौट आया |
दोस्तों इस कहानी से हमने कई सारी महत्त्वपूर्ण बातें सीखी हैं चलिए एक-एक करके उनके बारे में जानते हैं | सबसे पहले पांचों इंद्रियों को एक काम पर लगाओ गहरी सांसें लो और गहरी सांसें छोड़ो ध्यान सांस पर ले आओ और बाकी सारी चीजें छोड़ दो |
दूसरी बात सभी इंद्रियों को केवल एक काम से जोड़ो कान आंख नाक स्पर्श हर तरह से काम से जुड़ जाओ | उस काम में एक हो जाओ तीसरा यदि ध्यान टूट भी जाए तो इसमें घबराने की कोई जरूरत नहीं एक बार फिर निश्चय करो और दोबारा से प्रयास करो |
दोबारा से अपने काम में पूरी तरह से मग्न होने का प्रयास करो | धीरे-धीरे ध्यान गहरा होता चला जाएगा और आप किसी भी कार्य में पूरी तरह से मग्न हो जाए जाएंगे | जब ऐसा होगा तब आप वह कार्य बड़ी सरलता और सहजता से पूरा कर लेंगे | इस बीच जो समय लगने वाला है उसका भी अंदाजा आपको नहीं लग पाएगा और साथ ही ना तो वह काम आपको बोझ लगेगा और ना ही आप उस काम को करने में उबाऊ महसूस करेंगे | आप उस काम में आनंदित रहेंगे उस काम में आपको मजा आएगा और आप उस कार्य को बड़ी सरलता और सहजता से पूरा कर पाएंगे |
दूसरी बात जो हम इस कहानी से सीखते हैं वह है कि हर जानकारी और हर कर्म का मूल तत्व है ध्यान हमें ऐसा लगता है कि मन के छोटे-मोटे भटकाव से कोई फर्क नहीं पड़ता |
लेकिन बिना ध्यान के कोई भी कार्य संभव है ही नहीं | आपने कभी ना कभी तो यह महसूस किया ही होगा कि जब आप कोई पढ़ाई कर रहे हैं या कोई जरूरी काम कर रहे हैं | उसी दौरान आपके फोन में कोई नोटिफिकेशन आ जाता है | आपका मन तुरंत ही यह कहता है कि चलो एक बार वह नोटिफिकेशन देख लेते हैं | आखिर उसमें ऐसा क्या है और जैसे ही आप वह नोटिफिकेशन देखने जाते हैं | आप आपका पूरा ध्यान उस स्मार्टफोन में लग जाता है और आपका अधिकांश समय उसी में बीत जाता है | लेकिन जब आपको यह एहसास होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है |
तीसरी बात स्वीकार करो और जाने दो | जैसे गर्म लोहे पर हथौड़े की चोट से वह आकार लेता है ठीक उसी प्रकार से मन के विचार भी एक हथौड़े की भांती है और उनकी चोट से इंसान का शरीर व्यक्तित्व और मन आकार लेता है | आपने यह भी जरूर देखा होगा कि जब हमारे मन में सकारात्मक विचार होते हैं | तो हम बहुत ही पॉजिटिव अच्छा और हल्का महसूस करते हैं |
वहीं जब हमारे मन में नकारात्मक विचार होते हैं तो हम बहुत ही भारी परेशान और चिंतित महसूस करते हैं साथ ही हमारा शरीर भी बहुत थका थका महसूस होता है | इसलिए छोटे से छोटे विचारों पर हमें ध्यान देना आवश्यक है इसीलिए हमें जागरूक रहना आवश्यक है और इसीलिए अनचाहे विचारों को अपने मन में ना आने देना | उन्हें जाने दो बल्कि अपने सांसों पर ध्यान रखो खुद को यह याद दिलाओ कि मैं मन नहीं हूं मैं तो मन को देख रहा हूं मैं सांस नहीं हूं मैं तो सांसों को देख रहा हूं |
जो भी विचार आए उसे स्वीकार करो और जाने दो ऐसा करने से मन अनचाहे विचारों से मुक्त हो जाएगा और आप एक पानी में पत्ते की तरह पानी के ऊपर तैरने लगेंगे जिससे आप आनंदित और खुश महसूस कर पाएंगे | आपका शरीर हमेशा तंदुरुस्त और स्फूर्ति महसूस कर पाएगा और ना ही आपका मस्तिष्क किसी भी प्रकार के तनाव और चिंता में डूब पाएगा | इस प्रकार आप सही निर्णय भी ले पाएंगे और आपका ध्यान भी गहरा होता चला जाएगा देखते ही देखते आप हर काम में मन भी लगा पाएंगे और आप हर किसी कार्य में सफलता हासिल कर पाएंगे जैसा भी आप चाहेंगे आप वैसा कर पाएंगे |
दोस्तों आपने आज के इस कहानी से क्या सीखा वह मुझे आप कमेंट में बता सकते हैं | इसी के साथ में उम्मीद है कि आपको आज की कहानी पसंद आई होगी | तो इस कहानी को उस इंसान को शेयर करें | जिससे यह कहानी पढने की जरूरत है | तो चलिए फिर मिलते हैं ऐसी एक और नई कहानी में एक नए मैसेज के साथ तब तक के लिए अपना ख्याल रखें धन्यवाद और नमोह बुद्धाय !
निष्कर्ष
इस विषय पर चर्चा करते हुए, "अपने काम में माहिर बनो, समय आने पर सब होता है", हमने सीखा कि किसी भी क्षेत्र में सिद्धहस्तता प्राप्त करने का महत्व क्या है। यह दर्शाता है कि धैर्य और लगन से किए गए परिश्रम का फल अवश्य मिलता है। यह विषय हमें यह भी सिखाता है कि किसी भी कार्य को करते समय हमें उसमें पूरी तरह से डूब जाना चाहिए और उसके प्रति समर्पित होना चाहिए। यही समर्पण और मेहनत का संयोग हमें उस काम में उत्कृष्टता की ओर ले जाता है। इस विषय का सार यह है कि समय के साथ-साथ अगर हम निरंतर प्रयास करते रहें, तो एक दिन सफलता अवश्य मिलती है।
FAQs
1. किसी काम में माहिर बनने का क्या महत्व है?
किसी काम में माहिर बनना आपको उस क्षेत्र में विशेषज्ञता प्रदान करता है, जिससे आप बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं और अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।
2. धैर्य क्यों जरूरी है जब आप किसी काम में माहिर बनने की कोशिश कर रहे हों?
धैर्य आवश्यक है क्योंकि सिद्धहस्तता प्राप्त करने में समय लगता है और यह आपको चुनौतियों का सामना करने और सीखते रहने की शक्ति प्रदान करता है।
3. किसी काम में समर्पण क्यों जरूरी है?
किसी भी काम में पूर्ण समर्पण से ही आप उस काम के प्रति अपनी पूरी ऊर्जा और ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जो उत्कृष्टता की ओर ले जाता है।
4. परिश्रम का क्या महत्व है जब आप किसी काम में माहिर बनना चाहते हैं?
परिश्रम वह आधार है जिसपर सफलता की इमारत खड़ी होती है। बिना कठिन परिश्रम के, किसी भी क्षेत्र में माहिर बनना लगभग असंभव है।
5. क्या सफलता हमेशा समय के साथ आती है?
हाँ, सफलता अक्सर समय के साथ आती है। निरंतर प्रयास और सुधार से, अंततः आपके परिश्रम का फल मिलता है।
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